सिरसी (कर्नाटक)। यहां बहने वाली शलमाला नदी अपने भीतर हजारों शिवलिंगों को सहेजे हुए है। काली चट्टानों पर उकेरे गए ये शिवलिंग 16वीं सदी से शिव भक्तों की आराधना का केन्द्र हैं। नदी के इस स्थान को सहस्त्रलिंग नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इन सभी शिवलिंग को 16वीं सदी में राजा सदाशिवाराय के आदेश पर बनाया गया था। राजा शिव भक्त थे और अपनी भक्ति में मगन राजा चाहते थे की भगवान शिव की अद्भुत रचना का निर्माण किया जाए। सभी शिवलिंग कुछ इस तरह बने हुए हैं की उनका अभिषेक खुद शलमाला नदी करती है। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए भक्तों को नवंबर से मार्च के समय के बिच जाना चाहिए। इस अद्भुत नजारे को देखने के लिए यहां पर रोज ही अनेक भक्तों का आना-जाना लगा रहता है, लेकिन शिवरात्रि व श्रावण के सोमवार पर यहां भक्त विशेष रूप आते हैं।