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पति के कंधों पर जाना चाहती है भारतीय नारी

Apr 3, 2017

brahmakumari1भिलाई। किसी भी देश के विकास मेें परिवार की भूमिका अहम होती है। भारत देव भूमि और सोने की चिडिय़ा कहलाता था। पहले मेहमान पानी मांगते थे तो दूध देते थे, पूरा परिवार सम्मान करता था। भारत की संस्कृति में पत्नी का नाम पहले आता है जैसे श्री लक्ष्मी नारायण, श्री सीता राम। माताओं और कन्याओं के साथ जो होता है, उससे सबका सिर झुक जाता है। उक्त उद्गार दिल्ली से पधारी राजयोगिनी चक्रधारी दीदी ब्रह्माकुमारीज़ के महिला प्रभाग की राष्ट्रीय अध्यक्षा ने सकारात्मक परिवर्तन का स्तम्भ- नारी शक्ति विषय पर कहीं। उन्होंने कहा कि कन्याओं को देवी कहकर साल में दो बार नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है, पर आज माँ कहती है बेटी को कि रात में जल्दी घर आ जाना ज़माना ठीक नहीं है, यह बात हर माँ को अपने लड़के से कहना चाहिए कि रात में जल्दी घर आ जाओ। आज पाश्चात्य देशों में डाइवोर्स इसलिए हो रहे हैं कि 15 साल तक एक ही पति के साथ रहना पड़ता है, धन्य है भारतीय नारी जो आजीवन अपने पति के साथ और मृत्युपरांत पति के कंधे पर जाना चाहती है।
लड़के और लड़की में असमानता के कारण है दोनों के शारीरिक चोले अलग है पर आत्मा एक ही है। महिलाओं की सुरक्षा के लिए मानव की मनोवृत्ति में परिवर्तन लाना आवश्यक है। यह कार्य सरकार का ही नहीं है। यदि लड़का शर्म करता है और रोता है तो माँ कहती है कि तू लड़की है क्या, यह भिन्नता दिखाता है। माँ बाप का फर्ज है कि बचपन से ही बच्चों को अच्छे गुणों, संस्कारों और शक्तियों की शिक्षा दें। एक माँ अपने दस बच्चों को पाल सकती है पर दस बच्चे माँ को पाल नहीं सकते। आध्यात्मिकता बुढ़ापे की चीज़ नहीं है, इसे बचपन से ही यदि बच्चों को दी जाए तो किसी वृद्धा आश्रम की जरूरत नहीं है। जहां सकारात्मक चिंतन है वहां संकल्प सिद्धि है। भारत की नारी सम्मान देकर सम्मान लेना चाहती है, सम्मान लेकर सम्मान देना नहीं चाहती।
राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष हर्षिता पाण्डे ने कहा कन्याएं बेटी और बहू के रूप में दो कुल का लाज रखती है। आज लेटेस्ट कम्यूटर और मोबाईल के लिए अपडेट सॉफटवेयर की आवश्यकता है उसी प्रकार आत्मा सॉफटवेयर के लिए भी आध्यात्मिक ज्ञान चाहिए। आज कन्या का पहला बचाव माता की कोख में माँ को स्वयं परिवार से करना पड़ता है।
राज्य बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष शताब्दी पाण्डे ने कहा कि जो भी हम सुनते है उसके मनन चिंतन की आवश्यकता होती है। शुद्ध सात्विक प्रेम ही जीवन का आधार है। राजयोग सीखने के बाद बड़ी से बड़ी समस्या पर भी मन विचलित नहीं होता है, धैर्य बना रहता है। इस अवसर पर कृति महिलाओं का सम्मान किया गया। इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा सम्मानित दिव्यांग युवा सरपंच, ग्राम चीचा, पाटन, उत्तरा ठाकुर जिन्होनें गांव के हर एक व्यक्ति क ो शौचालय बनाने के लिए प्रेरित किया। नृत्य के क्षेत्र में अलिशा बेहुरा, मीडिया के क्षेत्र में भावना पाण्डे, कला के क्षेत्र में स्वयंसिद्धा ग्रुप की डायरेक्टर सोनाली चक्रवर्ती का सम्मान किया गया।
छत्तीसगढ़ सेवाकेन्द्रों की आधार स्तंभ ब्रह्माकुमारी कमला बहन जी ने स्वागत भाषण दिया। भिलाई सेवाकेन्द्रों की संचालिका ब्रह्माकुमारी आशा बहन ने आभार प्रदर्शन किया। स्वागत नृत्य कुमारी अन्वेषा ने प्रस्तुत किया। मंच संचालन ब्रह्माकुमारी माधुरी ने किया।

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