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महाराष्ट्र से छुड़ाए छत्तीसगढ़ के मजदूर, पगार के बदले मिलती थी मार

Jan 15, 2018
डिंडौरी। खाने में सड़ा चावल देते थे और एक महिला को मुकद्दम बनाया था, वह हम लोगों को शराब पीकर पिटवाती थी। काम तो कराया जाता था पर एक दिन भी मजदूरी नहीं दी। यह कहना था उन मजदूरों का, जिन्हें रिंकू भाईजान मजदूरी कराने के लिए सोलापुर ले गया था। बंधक बनाए गए 21 ग्रामीणों को पुलिस की स्पेशल टीम ने मुक्त कराया। रविवार शाम पुलिस की स्पेशल टीम ग्रामीणों को लेकर कोतवाली पहुंची।

डिंडौरी। खाने में सड़ा चावल देते थे और एक महिला को मुकद्दम बनाया था, वह हम लोगों को शराब पीकर पिटवाती थी। काम तो कराया जाता था पर एक दिन भी मजदूरी नहीं दी। यह कहना था उन मजदूरों का, जिन्हें रिंकू भाईजान मजदूरी कराने के लिए सोलापुर ले गया था। बंधक बनाए गए 21 ग्रामीणों को पुलिस की स्पेशल टीम ने मुक्त कराया। रविवार शाम पुलिस की स्पेशल टीम ग्रामीणों को लेकर कोतवाली पहुंची। पत्रकारवार्ता में एएसपी सुनीता रावत ने बताया कि बंधक ग्रामीणों में से एक ने जनपद अध्यक्ष बजाग रूदेश परस्ते को मोबाइल पर सूचना दी थी। जनपद अध्यक्ष की शिकायत पर स्पेशल टीम भेजकर ग्रामीणों को मुक्त कराया गया है। मुक्त कराए गए ग्रामीणों ने बताया कि 29 दिसंबर को डिंडौरी निवासी रानू उर्फ रिंकू भाईजान उन्हें गन्ना कटाई के लिए ले गया था। प्रतिदिन 400 रुपए मजदूरी देने की बात हुई थी, लेकिन मजदूरी एक भी दिन की नहीं दी गई। कुछ कहने पर मुकद्दम पिटवाती थी। खाना भी ठीक से नहीं देते थे। विजय के मोबाइल पर जनपद बजाग अध्यक्ष रूदेश परस्ते का नंबर था। उन्हें फोन पर आपबीती बताई गई। इसके बाद जनपद अध्यक्ष ने एसपी से 9 जनवरी को लिखित शिकायत की।

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