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रंगोली के रंगों की तरह बिखर गया विकास, अब सिर्फ स्मृतियां शेष

May 13, 2018

भिलाई। रंगोली बहुत सुन्दर होती है पर थोड़े ही समय में वह बिखर कर वातावरण में विलीन हो जाती है। कुछ ऐसी ही जिन्दगी थी रंगोली कलाकार विकास की। 9वीं क्लास में रंगोली बनाना शुरू किया। देखते ही देखते उसकी पहुंच स्थानीय उत्सवों से आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास तक हो गई। पर ईश्वर ने उसे जिन्दगी भी इतनी ही दी थी। 26 साल का विकास एक महीने की बीमारी में चल बसा। पीछे छोड़ गया बिलखता हुआ परिवार, कुछ अधूरे चित्र और भाइयों को दे गया एक अधूरा मिशन, लोगों को रंगों की दुनिया से जोड़ने का।भिलाई। रंगोली बहुत सुन्दर होती है पर थोड़े ही समय में वह बिखर कर वातावरण में विलीन हो जाती है। कुछ ऐसी ही जिन्दगी थी रंगोली कलाकार विकास की। 9वीं क्लास में रंगोली बनाना शुरू किया। देखते ही देखते उसकी पहुंच स्थानीय उत्सवों से आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास तक हो गई। पर ईश्वर ने उसे जिन्दगी भी इतनी ही दी थी। 26 साल का विकास एक महीने की बीमारी में चल बसा। पीछे छोड़ गया बिलखता हुआ परिवार, कुछ अधूरे चित्र और भाइयों को दे गया एक अधूरा मिशन, लोगों को रंगों की दुनिया से जोड़ने का।vikas-rangoli भिलाई। रंगोली बहुत सुन्दर होती है पर थोड़े ही समय में वह बिखर कर वातावरण में विलीन हो जाती है। कुछ ऐसी ही जिन्दगी थी रंगोली कलाकार विकास की। 9वीं क्लास में रंगोली बनाना शुरू किया। देखते ही देखते उसकी पहुंच स्थानीय उत्सवों से आगे बढ़कर मुख्यमंत्री निवास तक हो गई। पर ईश्वर ने उसे जिन्दगी भी इतनी ही दी थी। 26 साल का विकास एक महीने की बीमारी में चल बसा। पीछे छोड़ गया बिलखता हुआ परिवार, कुछ अधूरे चित्र और भाइयों को दे गया एक अधूरा मिशन, लोगों को रंगों की दुनिया से जोड़ने का।विकास की मां श्रीमती रत्नादेवी कहती हैं, ‘भगवान किसी को ऐसी भयानक बीमारी न दे। पेट में दर्द उठा तो बीएसपी मेन हास्पिटल ले गए। कुछ दिन रखने के बाद उन्होंने हैदराबाद रिफर कर दिया। हवाई जहाज से हैदराबाद ले गए पर उन्होंने भी हाथ खड़े कर दिए। रायपुर के इंदिरा गांधी कैंसर अस्पताल में कुछ दिन वह आराम से रहा पर उसकी हालत ऐसी नहीं थी कि उसे कीमोथेरेपी दी जा सके। और अंतत: 1 माह 8 दिन तक पीड़ा से छटपटाने के बाद एक कलाकार बेटे ने अपनी आंखें सदा के लिए मूंद लीं।’
विकास की बोलती रंगोलियों को देखकर हर कोई अपनी उंगलियां दांतों तले दबा लिया करता था। श्रीमती रत्ना बताती हैं कि अच्छे दिन बस आने लगे थे कि हमारी खुशियों को किसी की नजर लग गई। वैशाली नगर के अपने छोटे से ईडब्ल्यूएस मकान में बेटे की तस्वीर के सामने बैठी वे फूट फूट कर रो पड़ती हैं। पिता के एन राजा, बड़ा भाई नरेन्द्र और छोटा भाई भीमशंकर सिर झुका लेते हैं। उनके आंखों से आंसू झर-झर झरने लगते हैं।
रत्ना बताती हैं, ‘मेरा बेटा केएच मेमोरियल में पढ़ता था। बचपन से ही उसे चित्रकारी का शौक था। नवमीं कक्षा में उसने इसे एक अलग विधा में ढालना शुरू किया। वह लोगों के चित्र रंगोली में उकेरने लगा। लोग उसकी रंगोली देखकर दंग रह जाते। धीरे धीरे इधर उधर से बुलावा आने लगा। कुछ लोगों ने पैसे भी दिए। हायर सेकण्डरी स्कूल पास करते तक वह चित्रों की रंगोली में सिद्धहस्त हो चुका था। उसकी ख्याति पूरे शहर में फैल चुकी थी।झ्
बता दें कि विकास वही शख्स है जिसकी बनाई जीवंत रंगोलियों ने प्रत्येक अवसर को यादगार बना दिया। गणतंत्र दिवस, स्वतंत्रता दिवस, पर्यावरण दिवस, विश्व योग दिवस जैसे राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय पर्वों पर उसकी रंगोलियों क्रिएटिव होतीं। नामचीन हस्तियों की पोट्रेट भी वह रंगोली से ही बना देता। शहर के तकरीबन सभी लोकप्रिय लोगों की तस्वीरें वह उकेर चुका था जिसमें मंत्री प्रेमप्रकाश पाण्डेय से लेकर बीएसपी की सीईओ एम रवि तक सभी शामिल हैं। प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के जन्मदिवस पर वह उनके निवास पर भी रंगोली बनाया करता था। इसमें मुख्य रूप से मुख्यमंत्री की तस्वीर ही उकेरी गई होती।
श्रीमती रत्ना बताती हैं कि मेरा बेटा आइल पेंटिंग, ड्राइंग, रंगोली के अलावा मेहंदी भी बनाता था। पर उसकी पहचान रंगोलियों से ही बनी। रंगोली की यह विशेषता होती है कि बनाने के कुछ घंटों बाद उसे बिखर जाना होता है। रह जाती हैं सिर्फ फोटोग्राफ्स में उनकी यादें। विकास का जीवन भी ऐसा ही था। अपने छोटे से करियर में उसने खूब यश कमाया पर जब उससे आमदनी होनी शुरू हुई तो वह अपनी तस्वीरों को पीछे छोड़ते हुए विदा हो गया।
कला को आगे बढ़ाना चाहता था भाई
विकास के बड़े भाई नरेन्द्र ने बताया कि विकास कला को अपने आप तक सीमित नहीं रखना चाहता था। उसने वह कला हमें भी सिखाई और बच्चों को भी सिखाता था। उसने घर पर कुछ बच्चों को सिखाने से काम शुरू किया और फिर स्मृति नगर में टीआई मॉल के पास अपना सेन्टर खोल लिया। वहां भी काफी बच्चे उनसे सीखने आते थे। विकास केवल पेंटिंग और रंगोली ही नहीं बनाता था बल्कि सेट डिजाइनिंग, फ्लोरल डेकोरेशन में भी उसकी अच्छी पकड़ थी।

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