भिलाई। गर्भधारण से लेकर एक शिशु को जन्म देने का सर्वाधिकार उसकी मां के पास सुरक्षित होता है। स्वयंसिद्धा समूह ने एक मां के संघर्ष की भावपूर्ण प्रस्तुति प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के माउंट आबू स्थित मुख्यालय में आयोजित राष्ट्रीय कलाकार महासम्मेलन में दी। देश के कोने-कोने से आए संस्कृति एवं रंगकर्मियों ने मुक्त कंठ से इस प्रस्तुति की सराहना की। नाटक ‘अपराजिता’ के लिए इन कलाकारों ने महीने भर जमकर अभ्यास किया था।यह कहानी है एक ऐसी महिला की जिसके गर्भ में पल रही बेटी की हत्या करने की कोशिश की जाती है। इस कोशिश में भ्रूणहत्या तो नहीं होती अपितु एक विकलांग बच्ची का जन्म होता है। ऐसी ही कोशिश कोख में बेटी की खबर मिलने पर दोबारा की जाती है पर इस बार सतर्क मां अपनी बच्ची की सुरक्षा के लिए घर छोड़ देती है। एकाकी संघर्ष के द्वारा मां न केवल अपनी विकलांग बच्ची की परवरिश करती है बल्कि दूसरी बेटी को डाक्टर बनाने में सफल हो जाती है। नाटक यह संदेश देने में सफल रही कि स्त्री को आरक्षण नहीं अधिकार चाहिए – मातृत्व का अधिकार।
अपराजिता नाटक के कलाकार थे सोनाली चक्रवर्ती, प्रिया तिवारी, मंजू मिश्रा, संजीत कौर, सोनल कालरा, सोमा बोस, रूमा वर्धन, सुनीता मुरकुटे, वंदना नाडम्बर एवं लक्ष्मी साहू थे। कलाकारों ने बताया कि ‘अपराजिता’ के लिए उन्होंने महीने भर जमकर अभ्यास किया था। राष्ट्रीय कलाकार महासम्मेलन के मंच पर प्रस्तुति देना उनके लिए एक सपने का सच होना था।
पंजाब, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, केरल, तमिलनाडु, झारखंड, मध्य प्रदेश आदि राज्यों से आए विभिन्न विधाओं के कलाकारों के बीच स्वयंसिद्धा ने अपने नाटक ‘अपराजिता’ की प्रस्तुति दी। आगरा, दिल्ली मुंबई, कोलकाता, सतारा, चंद्रपुर, अहमदाबाद, बड़ोदरा, रांची से आए संस्कृति कर्मियों ने नाटक की भूरि-भूरि प्रशंसा की।
गृहिणियों के अधूरे सपनों को पूरा कर उनके जीवन को नए मानी देने में जुटी ‘स्वयंसिद्धा’ की डायरेक्टर डॉ. सोनाली चक्रवर्ती ने इस अवसर के लिए ब्रह्माकुमारीज भिलाई सेंटर की प्रमुख राज्योगिनी आशा बहनजी का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस राष्ट्रीय महासम्मेलन में उन्हें जीवन को देखने की एक नई दृष्टि मिली। इस मंच पर प्रतिमा कानन, अमित मिस्त्री, अरुणा सांगल, किशोर भानूशाली (जूनियर देव आनंद) आदि टीवी व फिल्मों के बहुचर्चित कलाकारों के साथ मंच व विचार साझा करने का अवसर प्राप्त हुआ।
‘स्वयंसिद्धा’ गृहिणियों का एक ऐसा समूह है जो अपनी घरेलू जिम्मेदारियों के निर्वहन के साथ-साथ स्वयं को पहचानने व निखारने का प्रयास कर रही है। ये गृहिणियां फुर्सत के पलों में अपनी गायन, नृत्य व अभिनय कला को निखारने के साथ साथ अपने जीवन को नए मायने दे रही हैं। संस्था की डायरेक्टर डॉ सोनाली चक्रवर्ती भारतीय महिला के जीवन के अनछुए पहलुओं पर नाटक लिखती हैं और फिर सब मिलकर उसे मंच पर अमली जामा पहनाती हैं। ‘स्वयंसिद्धा’ अपनी भावपूर्ण प्रस्तुतियों के जरिए नारी सशक्तिकरण एवं नारी समानता का संदेश देने के लिए सुपरिचित है।
कार्यक्रम की प्रस्तुति में युग रतन भाई जी, श्याम भाई जी, आनंद भाई जी, आशा बहनजी, प्राची बहन जी का विशेष सहयोग रहा।