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सादगी, ईमानदारी व परिश्रम से गांधी ने साधे असाधारण लक्ष्य : मैत्रेयी

Nov 26, 2019

तुलाराम कन्या शाला में इन्टैक ने किया गांधी के विचारों पर मंथन

भिलाई। सादगी, ईमानदारी व स्व-अनुशासन से कठिन मेहनत करते हुए से जीवन जीकर गांधी ने असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त किया है। उनके जीवन से सीख लेकर बच्चे मेहनत करें और अपने जीवन को सार्थक बनायें। यह विचार भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांकृतिक धरोहर निधि के धरोहर द्वारा तुलाराम आर्य कन्या शाला के सहयोग से शालेय विद्यार्थियों के लिए गांधी के विचारों पर आयोजित परिचर्चा में अवकाशप्राप्त सत्र न्यायाधीश मैत्रेयी माथुर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गांधी ने अपने निजी व सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और सच्चाई को सर्वाधिक महत्त्व दिया।भिलाई। सादगी, ईमानदारी व स्व-अनुशासन से कठिन मेहनत करते हुए से जीवन जीकर गांधी ने असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त किया है। उनके जीवन से सीख लेकर बच्चे मेहनत करें और अपने जीवन को सार्थक बनायें। यह विचार भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांकृतिक धरोहर निधि द्वारा तुलाराम आर्य कन्या शाला के सहयोग से शालेय विद्यार्थियों के लिए गांधी के विचारों पर आयोजित परिचर्चा में अवकाशप्राप्त सत्र न्यायाधीश मैत्रेयी माथुर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गांधी ने अपने निजी व सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और सच्चाई को सर्वाधिक महत्त्व दिया।Mahatma-Gandhi भिलाई। सादगी, ईमानदारी व स्व-अनुशासन से कठिन मेहनत करते हुए से जीवन जीकर गांधी ने असाधारण लक्ष्यों को प्राप्त किया है। उनके जीवन से सीख लेकर बच्चे मेहनत करें और अपने जीवन को सार्थक बनायें। यह विचार भारतीय राष्ट्रीय कला एवं सांकृतिक धरोहर निधि के धरोहर द्वारा तुलाराम आर्य कन्या शाला के सहयोग से शालेय विद्यार्थियों के लिए गांधी के विचारों पर आयोजित परिचर्चा में अवकाशप्राप्त सत्र न्यायाधीश मैत्रेयी माथुर ने मुख्य अतिथि की आसंदी से व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि गांधी ने अपने निजी व सार्वजनिक जीवन में अनुशासन और सच्चाई को सर्वाधिक महत्त्व दिया।साबरमती आश्रम में गांधी के सानिध्य में रहने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दंपत्ति के पुत्र एवं प्रसिद्ध गीतकार मुकुंद कौशल ने साबरमती आश्रम में गांधी की जीवन शैली से जुड़े विभिन्न प्रसंगों से बच्चों को अवगत कराते हुए कहा, आगे आने वाली पीढ़ियां शायद यह विश्वास न करें कि गांधी जैसे किसी लंगोटीधारी व्यक्ति ने अहिंसात्मक आंदोलनों के जरिये अंग्रेजों को देश छोड़ने को मजबूर कर दिया था। नमक आन्दोलन से अंग्रेजों के एक अनैतिक कानून की धज्जियाँ उडा दीं। उन्होंने आगे कहा कि सर्व-धर्म समभाव व परस्पर प्रेम का गांधी का सन्देश आज भी प्रासंगिक है।
सुप्रसिद्ध साहित्यकार रवि श्रीवास्तव ने कहा कि गांधी देश में व्याप्त गरीबी, अशिक्षा एवं अस्वास्थकारी स्थितियों से दुखी थे। उन्होंने गुलामी से संघर्ष करने के आव्हान के साथ-साथ देश को इन समस्यायों से उबारने के तौर-तरीके सुझाये तथा स्वयं अनेकों प्रयोग किये। उन्होंने हिंदी के विकास के भी प्रयास किये।
आरम्भ में शाला की प्राचार्य श्रीमती नीना शिवहरे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए गांधी की प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। इन्टेक के संयोजक डॉ डी एन शर्मा ने गांधी के विचारों से सम्बंधित इन्टेक की गतिविधियों से अवगत कराया। कार्यकम का संचालन शिक्षिका ममता शर्मा द्वारा किया गया। इन्टेक की सह-संयोजक विद्या गुप्ता ने आभार प्रदर्शन किया। इस अवसर पर शिक्षाविद डॉ हरिनारायण दुबे, लेखक डॉ संजय दानी, श्रीमती शुभम भंडारी, श्रीमती सुनीता दानी, श्रीमती पूनम भंडारी, विश्वास तिवारी, विद्यालय की शिक्षिकाएं व बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित रहीं।
परिचर्चा के पूर्व, छात्राओं ने गांधी के जीवन व विचारों पर केन्द्रित रंगोली, चित्रकला एवं भाषण प्रतियोगिता में सहभागिता दी। स्पर्धाओं के विजेताओं को पुरस्कृत किया गया. रंगोली में संजना धनकर (प्रथम, अंजलि ठाकुर (द्वितीय) तथा प्रिय ठाकुर व सिमरण साहू (तृतीय); चित्रकला में नुपुर कर (प्रथम), नीलिमा विश्वकर्मा (द्वितीय) व संजना धनकर (तृतीय); भाषण में शीतल व रोशनी सिन्हा तथा कविता पाठ में डाली साहव प्रियंका सोनी को पुरस्कृत किया गया. इस अवसर गांधी के सर्व-धर्म के नजरिये पर एक प्रभावी मूक नाटिका प्रस्तुत करने वाली छात्राओं रेवती गोंड, साक्षी सोनी, प्रीती गुप्ता, पायल देवांगन, थानेश्वरी शर्मा व कुसुम वर्मा को भी मुख्य अतिथि मैत्रेयी माथुर ने पुरस्कृत किया।

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