दुर्ग। साइंस कॉलेज, दुर्ग में यूजीसी की परामर्श योजना तथा राज्य गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधन में नैक मूल्यांकन की नई पद्धति पर संभाग स्तरीय वेबीनार आयोजित किया गया। पांच सत्रों में आयोजित इस चतुर्थ वेबीनार में दुर्ग संभाग के लगभग 25 महाविद्यालयों के प्राचार्य, नैक समन्वयक तथा आईक्यूएसी समन्वयकों ने हिस्सा लिया। यह जानकारी देते हुए महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ आर.एन. सिंह तथा आईक्यूएसी समन्वयक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने बताया कि उच्चशिक्षा विभाग छत्तीसगढ़ शासन के निर्देशानुसार समस्त महाविद्यालयों को नैक मूल्यांकन की नई प्रणाली के अंतर्गत अपना मूल्यांकन एवं प्रत्यायन कराना आवश्यक है। डॉ. सलूजा ने बताया किइसी के अंतर्गत शास. विश्वनाथ यादव तामस्कर स्वशासी स्नातकोत्तर महाविद्यालय, दुर्ग द्वारा अपने अधीनस्थ महाविद्यालयों को नैक संबंधी मूल्यांकन कराने हेतु प्रत्येक आवश्यक जानकारी विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की जा रही है।
वेबीनार के प्रारंभिक चरण में राज्य गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी डॉ जी.ए. घनश्याम ने नैक मूल्यांकन की महत्ता एवं आवश्यकता पर प्रकाश डाला। डॉ जी. ए. घनश्याम ने जानकारी दी कि राज्य शासन द्वारा नैक मूल्यांकन हेतु आवेदन करने तथा अन्य प्रारंभिक तैयारी हेतु 96 महाविद्यालयों को लगभग 07 करोड़ रूपये राशि राज्य शासन द्वारा उपलब्ध करायी जा रही है। प्रथम सत्र में नैक मूल्यांकन के विभिन्न 07 बिन्दुओं में से चतुर्थ बिन्दु का साइंस कॉलेज, दुर्ग की डॉ जगजीत कौर सलूजा ने गहराई से विश्लेषण किया। उन्होंने बताया कि महाविद्यालयों में उपलब्ध संसाधनों तथा सुविधाओं की उचित ढंग से जानकारी नैक द्वारा निर्धारित फॉरमेट में दिया जाना आवश्यक है। डॉ सलूजा ने महाविद्यालय में ग्रंथालय की आवश्यकता एवं उसके उपयोग से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। सेमीनार के द्वितीय चरण में हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग के अधिष्ठाता छात्र कल्याण, डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने स्टूडेंट सपोर्ट तथा प्रोग्रेशन पर विस्तार से जानकारी दी। डॉ श्रीवास्तव ने सभी प्रतिभागियों को बताया कि नैक की एसएसआर रिपोर्ट तैयार करते समय विगत पांच वर्षों में महाविद्यालय द्वारा विद्यार्थियों के विकास हेतु आयोजित की जाने वाली गतिविधियां जैसे – प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु कोचिंग, व्यक्तित्व विकास संबंधी कार्यक्रम, दक्षता एवं भाषा विकास संबंधी प्रशिक्षण कार्यक्रम तथा विद्यार्थियों को मिलने वाली विभिन्न प्रकार की छात्रवृत्तियों का सम्पूर्ण विवरण आवश्यक है। डॉ श्रीवास्तव ने बताया कि नैक महाविद्यालय के कम से कम दस प्रतिशत विद्यार्थियों से सीधे ईमेल द्वारा संपर्क कर महाविद्यालय के संबंध में उनका फीडबैक प्राप्त करता है।
नैक मूल्यांकन के छठवें बिन्दु गवर्नेंस लीडरशिप तथा मैनेजमेंट के बारे में विस्तार से विश्लेषण करते हुए साइंस कॉलेज, दुर्ग की अंग्रेजी की प्राध्यापक, डॉ सुचित्रा गुप्ता ने बताया कि महाविद्यालय के सफल संचालन में प्राचार्य द्वारा विभिन्न समितियों के माध्यम से कार्यविभाजन एवं सत्ता का विकेन्द्रीयकरण किया जा सकता है। डॉ. गुप्ता ने लीडरशिप तथा मैनेजमेंट की जिम्मेदारियों पर भी विस्तृत जानकारी प्रदान की। नैक मूल्यांकन के सातवें बिन्दु इस्टीटयूशनल वैल्यू तथा बेस्टप्रैक्टिसेस के संबंध में अंग्रेजी की प्राध्यापक, डॉ. सोमाली गुप्ता ने विभिन्न उदाहरणों सहित प्रतिभागियों को महत्वपूर्ण जानकारी दीं। डॉ. सोमाली गुप्ता ने कहा कि प्रत्येक महाविद्यालय अपने-अपने महाविद्यालय की आवश्यकता एवं विशेषता के अनुसार बेस्ट प्रैक्टिस का चयन करें। विषय विशेषज्ञों द्वारा आमंत्रित व्याख्यान के पश्चात् दुर्ग संभाग के अपर संचालक, उच्चशिक्षा, डॉ सुशील चन्द्र तिवारी ने समस्त महाविद्यालयों से आग्रह किया कि वे 31 जनवरी 2021 तक नैक मूल्यांकन हेतु अपना आवेदन अवश्य ऑनलाइन प्रस्तुत कर देवें। प्रत्येक महाविद्यालय सत्र 2021 में नैक मूल्यांकन हेतु आवश्यकतानुसार तैयार रहें।
विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्यों, आईक्यूएसी समन्वयकों तथा नैक समन्वयकों की जिज्ञासाओं एवं शंकाओं का समाधान अंतिम सत्र में डॉ जी.ए. घनश्याम तथा साइंस कॉलेज, दुर्ग के प्राचार्य, डॉ आर. एन. सिंह ने किया। अंत में धन्यवाद ज्ञापन वरिष्ठ प्राध्यापक, डॉ. अनुपमा अस्थाना एवं डॉ प्रज्ञा कुलकर्णी ने किया। वेबीनार के आयोजन में महाविद्यालय आईक्यूएसी, यूजीसीसेल, तथा डॉ अनिल कुमार का उल्लेखनीय योगदान रहा।