भिलाई। माँ शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के मंच पर मयंक पेटकर ने बीट-बॉक्सिंग की अद्भुत कला की प्रस्तुति देकर खूब तालियां बटोरीं। शंकराचार्य विद्यालय, हुडको की कक्षा 12वीं के छात्र मयंक ने बताया कि यह कला वेस्टर्न हिप-हॉप कल्चर का ही एक हिस्सा है। यूट्यूब ने इस विधा को सीखने में उनकी मदद की। मयंक के पिता की कुछ समय पूर्व आकस्मिक मृत्यु हो गई। इस सदमे ने उसे हिला कर रख दिया था। पर पढ़ने में रुचि और हॉबी ने उसे इस सदमे से उबारा और वह एक बार फिर अपनी हुनर को निखारने में जुट गया है। रविवार को होटल अमित पार्क इंटरनेशनल में आयोजित माँ शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के कार्यक्रम में कॉमर्स गुरू डॉ संतोष राय ने मयंक का परिचय दिया। मयंक ने बताया कि बीट बॉक्सिंग दरअसल सांस एवं आवाज को माइक्रोफोन पर एक विशिष्ट अंदाज में फेंककर परकुशन इंस्ट्रूमेन्ट (ड्रम्स, तबला, ढोल जैसे वाद्ययंत्र) का भ्रम पैदा करने की कला है। गले के विभिन्न हिस्सों के साथ ही जीभ और होठों का इसमें भरपूर इस्तेमाल किया जाता है।
मयंक की प्रस्तुति का आरंभ एक दरवाजे के खुलने की आवाज से होता है। इसके बाद ड्रम्स की बीट सुनाई पड़ती है। पहले एक और फिर एक-एक कर पूरे ड्रम सेट की आवाजें एक लय और ताल में सुनाई पड़ने लगती है। यदि आंखें बंद करके सुनें तो आर्केस्ट्रा के ड्रम्स बजने का भ्रम होता है।
मयंक ने बताया कि वे अपने करियर के साथ-साथ इस विधा को भी निखार रहे हैं। यह एक एकल प्रस्तुति कला है जो करियर को सपोर्ट भी कर सकता है और स्वयं भी एक करियर बन सकता है।