भिलाई। संतोष रूंगटा ग्रुप द्वारा संचालित महाविद्यालयों में पीएचडी के लिए छात्रों के लिए इंडक्शन कम ओरिएंटेशन प्रोग्राम का आयोजन किया गया। ग्रुप के चेयरमैन संतोष रूंगटा के निर्देश पर आयोजित इस कार्यक्रम में सभी महाविद्यालयों के प्राचार्यों एवं डीन सहित पीएचडी स्कालर्स ने हिस्सा लिया। स्कालर्स को पीएचडी से जुड़ी सभी जानकारियां प्रदान करते हुए उन्होंने शोध को जनहित से जोड़ने की समझाइश दी गई।रूंगटा कालेज ऑफ़ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्राचार्य डॉ मोहन अवस्थी ने कहा कि आम तौर पर लोग केवल प्रमोशन या वेतन वृद्धि के लिए डाक्टरेट करते हैं। अब महाविद्यालयों में अध्यापन के लिए इसे जरूरी भी कर दिया गया है। पर शोध तभी सार्थक सिद्ध हो सकता है जब वह आम जनों के लिए भी उपयोगी हो।
इससे पूर्व रिसर्च एंड डेवलपमेंट के डीन डॉ एसपी दुबे ने रिसर्च में कापी पेस्ट से बचने की सलाह देते हुए कहा कि प्लेगियारिज्म साफ्टवेयर से इसे आसानी से पकड़ा जा सकता है। भाषा में मामूली फेरबदल कर पुराने शोधों को ही दोहराने से भी स्कॉलर्स को बचना चाहिए।
रूंगटा कालेज ऑफ़ फार्मास्यूटिकल साइंस एंड रिसर्च के प्राचार्य डॉ डीके त्रिपाठी ने करियर के इस पड़ाव पर आकर शोध के विषय का चयन स्वतंत्र रूप से पूरी संजीदगी के साथ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि समय समय पर अपने सुपरवाइजर से सलाह करते रहना चाहिए। यहां तक कि अंतिम क्षणों में भी शोध में कोई परिवर्तन करना हो तो कम से कम अपने शोध निदेशक की मौखिक सहमति ले लेनी चाहिए।
पीएचडी कोआर्डिनेटर डॉ मनीषा अग्रवाल ने शोध के मूल्यांकन से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां प्रदान कीं। उन्होंने शोध के तीनों अंगों का उल्लेख करते हुए एमफिल अभ्यर्थियों को मिलने वाली छूट के बारे में भी बताया।
समूह के डायरेक्टर टेक्नीकल सौरभ रूंगटा एवं डायरेक्टर फायनांस सोनल रूंगटा ने बताया कि समूह के महाविद्यालयों में शिक्षण, प्रशिक्षण के साथ-साथ शोध के स्तर और उनकी उपयोगिता का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। समूह शोध की संख्या से अधिक उसकी गुणवत्ता पर ध्यान देता है।