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दंतेवाड़ा की सुदरी के लिए कोरबा से आया दुर्लभ बॉम्बे ब्लड

Feb 20, 2018

दंतेवाड़ा। बॉम्बे ब्लड ग्रुप का एक और मरीज दंतेवाड़ा में मिला है। 24 घंटे के भीतर कोरबा से ब्लड अरेंज किया गया। ब्लड बैंक के पैथोलाजिस्ट डॉ. दीपेंद्र भदौरिया के मुताबिक दस हजार में किसी एक में बॉम्बे ब्लड ग्रुप होता है। छग में अब तक इस ग्रुप के 9 और भारत में 178 लोग ही चिन्हित हो पाए हैं। पहली बार इस ग्रुप का मरीज वर्ष 1952 में बॉम्बे के एक हॉस्पिटल में मिला था। इसलिए इस ब्लड ग्रुप का नाम बॉम्बे रखा गया।दंतेवाड़ा। बॉम्बे ब्लड ग्रुप का एक और मरीज दंतेवाड़ा में मिला है। 24 घंटे के भीतर कोरबा से ब्लड अरेंज किया गया। ब्लड बैंक के पैथोलाजिस्ट डॉ. दीपेंद्र भदौरिया के मुताबिक दस हजार में किसी एक में बॉम्बे ब्लड ग्रुप होता है। छग में अब तक इस ग्रुप के 9 और भारत में 178 लोग ही चिन्हित हो पाए हैं। पहली बार इस ग्रुप का मरीज वर्ष 1952 में बॉम्बे के एक हॉस्पिटल में मिला था। इसलिए इस ब्लड ग्रुप का नाम बॉम्बे रखा गया। रक्त की व्यवस्था छत्तीसगढ़ ब्लड डोनर फाउंडेशन के सहयोग से किया गया। फाउंडेशन के पास इस ग्रुप के 8 डोनर हैं।रेयर ग्रुप के ब्लड की पुष्टि और अरेंज करने में जिला हॉस्पिटल के पैथॉलाजी विभाग की अहम भूमिका रही। पेट दर्द की शिकायत पर हॉस्पिटल पहुंची दंतेवाड़ा की सुदरी को अतिरिक्त ब्लड की जरूरत थी। ब्लड बंैक में जब उसके खून की ग्रुप चेक किया गया तो वह बॉम्ब ब्लड ग्रुप निकला। बालूद निवासी सुदरी को लोवर रेस्पिरेटटरी ट्रैक्ट में इंफेक्शन है। इसकी वजह से पेट दर्द के साथ ब्लड कम हो गया गया। उसके शरीर में हिमोग्लोबिन की मात्रा 5.2 है। जबकि एक स्वस्थ नारी के शरीर में 12 एचबी ब्लड होनी चाहिए।
डॉ. दीपेंद्र भदौरिया और उनकी टीम ने करीब चार से छह घंटे की मशक्कत के बाद कोरबा की नर्सिंग छात्रा 19 वर्षीय सरिता से संपर्क हुआ। वह सुदरी के लिए ब्लड डोनेट करने राजी हो गई। रविवार को कोरबा के सरकारी हॉस्पिटल में उससे ब्लड लिया गया। बाम्बे पॉजीटिव ग्रुप का ब्लड सोमवार को जिला हॉस्पिटल पहुंच गया। इसके बाद सोमवार की शाम मरीज सुदरी को खून चढ़ाया गया।
जिला प्रशासन ने भी किया सहयोग
जिले में रेयर ब्लड बॉम्बे ग्रुप के मरीज और उसे खून की जरूरत की जानकारी मिलने पर प्रशासन ने भी मदद की। कोरबा से ब्लड अरेंज कराने से लेकर ट्रांसपोर्ट का खर्च कलेक्टर सौरभ कुमार ने स्वयं वहन किया है।

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