भिलाई। संतोष रूंगटा समूह द्वारा संचालित रूंगटा कालेज ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में युवा इंजीनियरों को संबोधित करते हुए स्वामी सम्बुद्ध आलोक ने आज कहा कि हम सभी में ईश्वरीय शक्ति विद्यमान है, फिर हम भगवान क्यों नहीं बन सकते? उन्होंने कहा कि धर्म भी विज्ञान की ही एक शाखा है और हमें उसे इसकी मान्यता देनी ही पड़ेगी। उन्होंने कहा कि भौतिक साधनों से सुखी होने की तलाश अब खत्म हो चुकी है। अब लोग आध्यात्म के जरिए सुख ढूंढ रहे हैं। अब आध्यात्म से जुड़े लोग ही हमारे रोल मॉडल हैं।स्वामी सम्बुद्ध आलोक यहां सीएसवीटीयू के तत्वावधान में टेक्विप-3 के अंतर्गत आयोजित ‘हेल्थ, हैप्पीनेस एंड सक्सेस’ मोटिवेशन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। आनन्दम् के संस्थापक स्वामीजी ने विद्यार्थियों से कहा कि वे जो कुछ बनना चाहते हैं, उसे अपना सौ फीसद दें। उनका स्वयं का लक्ष्य जीवन में पूर्णता लाना था। इसलिए इलाहाबाद एनआईटी से स्वर्ण पदक के साथ बीटेक करने के बाद उन्होंने आध्यात्म की साधना की।
उन्होंने कहा कि पैसा महत्वपूर्ण है किन्तु वह सबकुछ नहीं है। पैसा सुख की गारंटी नहीं है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि सुखी होने के लिए क्या चाहिए। अब समाज के रोल मॉडल बदल गए हैं। कभी सेलेब्रिटी और उद्योगपति रोलमॉडल हुआ करते थे पर आज ऐसा नहीं है। अब लोगों का ध्यान शांत, चित्तमय जीवन से सुख की ओर जा रहा है।
उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध, महावीर, सांईबाबा, जीजस, ओशो, मोहम्मद ने जिसका अनुभव किया उसके वैज्ञानिक कारण हैं। उन्होंने जीवन की महत्ता को जाना और फिर आम लोगों को जीवन की सार्थकता का अनुभव भी कराया।
उन्होंने कहा कि भगवान शिव, श्रीराम, श्रीकृष्ण हम सभी बन सकते हैं। हम सभी में वह शक्ति विद्यमान है। हम भी किसी के लिए आदर्श बन सकते हैं। शर्त यही है कि हम अपने आप को, अपनी भीतरी शक्तियों को पहचानें। स्वामीजी ने कहा कि हजारों बीज में से कोई एक बीज से ही पेड़ तैयार होता है। आप भी वह बीज हो सकते हैं।
कार्यशाला का शुभारंभ समूह के चेयरमैन संतोष रूंगटा, निदेशक डॉ. सौरभ रूंगटा, आर-वन के प्राचार्य डॉ. मोहन अवस्थी की उपस्थिति में दीप प्रज्ज्वलित कर स्वामीजी ने किया। संचालन संस्था के डीन ईसीएस एवं एनएसस कार्यक्रम अधिकारी एस भारती ने किया। अंत में छात्र-छात्राओं व एनएसएस के स्वयं सेवकों से फीडबैक लिया गया।