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जंगलों में नहीं होता ओहदे का फर्क, गोली नहीं पूछती नाम-पता : आईजी जीपी सिंह

Aug 8, 2018

IG GP Singhभिलाई। आईजी जीपी सिंह ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ मैदानी लड़ाई लड़ने वाला प्रत्येक व्यक्ति एक समान लड़ रहा होता है। जब हम जंगलों में घुसते हैं तो हममें रैंक का कोई फर्क नहीं रह जाता। वहां सिपाही से लेकर आईजी तक एक होते हैं। दुश्मन की गोली किसी में कोई फर्क नहीं करती। आईजी यहां होटल अमित पार्क इंटरनैशनल में आयोजित श्रद्धांजलि सभा को संबोधित कर रहे थे। शहीद युगलकिशोर वर्मा की स्मृति में आयोजित इस सभा में शहीद के पिता शिव वर्मा, माता यशोदा, पत्नी माधुरी, बेटा आदित्य के अलावा शहीद के बड़े भाई गोविन्द, बहन फिंगेश्वरी एवं बहनोई चंद्रभूषण सहित बड़ी संख्या में परिजन उपस्थित थे। शहीद युगल किशोर के बड़े भाई एवं बहन भी पुलिस की सेवा में हैं।Shaheed-Wife-Madhuri Shaheed Yugal Kishoreआईजी ने बताया कि युगलकिशोर पुलिस फोर्स के एक जहीन हिस्सा थे। उनमें नेतृत्व लेने की गजब की क्षमता थी। उन्हें खोना पुलिस के लिए एक बड़ी क्षति है। गातापार के घोड़ापाट जंगल में 6 अगस्त, 2017 को वे नक्सलियों का बहादुरी से मुकाबला करते हुए शहीद हो गए। उनकी पत्नी माधुरी को उनके स्थान पर अनुकम्पा नियुक्ति दी गई है।
आईजी सिंह ने कहा कि शहीद के प्रति समाज का यह जुड़ाव और प्रतिबद्धता देखकर वे अभिभूत हैं। पुलिस को अवाम का यह सपोर्ट देखकर वे भावुक हैं। जो लोग पुलिस को करीब से जानते हैं, उन्हें पता है कि पुलिस की नौकरी कितनी कठिन होती है और उनके साथ उनका परिवार भी कितना कुछ सहन करता है।
शहीद की पत्नी माधुरी ने बताया कि उनके पति एक जिंदादिल इंसान थे। अपने साथियों की जान बचाने के लिए उन्होंने 53 बार रक्तदान किया था। 2007 को पुलिस की सेवा में आए 33 वर्षीय युगलकिशोर ने 58 मुठभेड़ों में हिस्सा लिया था।

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