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उच्च शिक्षा की गोलमोल व्यवस्था पर हुआ मंथन

Feb 23, 2018

भिलाई। दुर्ग जिला भारतीय शिक्षण मण्डल द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान के लिए 21 फरवरी 2018 को एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार मंथन किया गया। इस बैठक में प्रमुख रूप से नैक के द्वारा महाविद्यालय को मिलने वाले ग्रेड के विरोधाभासी मापदण्डों पर चर्चा हुई। डिग्री महाविद्यालयों, तकनीकि महाविद्यालयों और चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए एक जैसे मापदण्ड है।भिलाई। दुर्ग जिला भारतीय शिक्षण मण्डल द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में आने वाली विभिन्न समस्याओं और उनके समाधान के लिए 21 फरवरी 2018 को एक बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं पर विचार मंथन किया गया। इस बैठक में प्रमुख रूप से नैक के द्वारा महाविद्यालय को मिलने वाले ग्रेड के विरोधाभासी मापदण्डों पर चर्चा हुई। डिग्री महाविद्यालयों, तकनीकि महाविद्यालयों और चिकित्सा महाविद्यालयों के लिए एक जैसे मापदण्ड है। भारत के विभिन्न क्षेत्रों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के अनुसार महाविद्यालय के स्तर अलग-अलग होते है किन्तु नैक द्वारा सभी महाविद्यालयों के एक समान मापदण्ड निर्धारित है अत: इस ओर विचार किया जाना चाहिए। शासकीय, अर्धशासकीय और अशासकीय महाविद्यालयों में प्राध्यापकों की नियुक्ति सहायक प्राध्यापक के पद पर होती है किन्तु उनके पदोन्नति के नियमों में भिन्नता है। अशासकीय महाविद्यालय के प्राध्यापकों की नियुक्ति सहायक प्राध्यापक पद पर होती है और उनकी सेवा निवृत्ति भी सहायक प्राध्यापक पद पर ही हो जाती है। अनुदानित महाविद्यालय के स्वीकृत पदों में नियुक्त प्राध्यापक के सेवानिवृत्ति होने पर उक्त पद स्वत: ही विलोपित हो जाता है। वर्तमान में रूसा द्वारा अनुदान प्राप्त महाविद्यालयों को ही अनुदान की राशि दी जाती है। यूजीसी द्वारा 2 एफ 12बी प्रमाणित अशासकीय महाविद्यालयों को रूसा द्वारा अनुदान प्रदान करने का प्रवधान होना चाहिए।
शासकीय, अर्धशासकीय और अशासकीय महाविद्यालयों की अपने-अपने स्तर की अनेक समस्याएँ है। इन समस्याओं में से कुछ चिन्हित और महत्वपूर्ण समस्याओं को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
छत्तीसगढ़ के उच्च शिक्षा की समस्याओं के समाधान हेतु कुछ सुझाव पर भी विचार किया गया। शिक्षा को स्वायत्त किया जाना चाहिए। शिक्षा की गुणवत्ता और उद्देश्य पूर्ति के लिए शिक्षा व्यवस्था को शिक्षकों के हाथों सौपना चाहिए। पाठ्यक्रम में अवश्यकतानुसार शीघ्र परिवर्तन किया जाना चाहिए।
महाविद्यालय के विकास के लिए बनाई गई जन भागीदारी समिति के स्वरूप में संशोधन किये जाने की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई जनभागीदारी निधी को खर्च करने के लिए अलग-अलग मदों को निश्चित किया जाना चाहिए। जिसका समय-समय पर शासन द्वारा ऑडिट किया जाना चाहिए। महाविद्यालय और विश्वविद्यालयों को राजनीति से दूर रखा जाना चाहिए। जिससे शिक्षा और शिक्षण कार्य में कोई बांधा न आ सके।
इस बैठक का आयोजन बिसरा राम यादव की अध्यक्षता में किया गया। सुश्री नीता बाजपेयी, डॉ. जे दुर्गा प्रसाद राव, डॉ. रक्षा सिंह, डॉ. शकील हुसैन, डॉ. रघुनाथ प्रसाद अग्रवाल, श्रीमती श्रीलेखा विरूलकर, डॉ. अनिल कुमार पाण्डेय, डॉ. अर्चना झा, डॉ. विरेन्द्र कुमार सिंह, डॉ. लीना साहू, डॉ. गायत्री जय मिश्रा, डॉ. जयश्री वाकणकर, श्रीमती शिल्पा कुलकर्णी, श्री डी.एस. रघुवंशी सम्मिलित हुए।

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