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स्वरूपानंद महाविद्यालय में उद्यमिता पर कार्यशाला, मिले टिप्स

Mar 14, 2018

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आई.क्यू.ए.सी. सेल एवं प्रबंधन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एमडीपी के तहत 'टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट इन एमएसएमई (माईक्रो स्मॉल मीडियम इंटरप्राइज) विषय पर पंद्रह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उद्यमिता से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान की गईं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव एस. प्रभारी डायरेक्टर एमएसएमई भारत सरकार रायपुर, विशेष अतिथि के रूप में सीएस मूंड अतिरिक्त अध्यक्ष एमएसएमई उपस्थित हुये।भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में आई.क्यू.ए.सी. सेल एवं प्रबंधन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एमडीपी के तहत ‘टोटल क्वालिटी मैनेजमेंट इन एमएसएमई (माईक्रो स्मॉल मीडियम इंटरप्राइज) विषय पर पंद्रह दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें उद्यमिता से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां प्रदान की गईं। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव एस. प्रभारी डायरेक्टर एमएसएमई भारत सरकार रायपुर, विशेष अतिथि के रूप में सीएस मूंड अतिरिक्त अध्यक्ष एमएसएमई उपस्थित हुये। कार्यक्रम प्रभारी स.प्रा. श्रीमती खुशबू पाठक ने कार्यक्रम का प्रतिवेदन व सारांश प्रस्तुत किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये कहा विद्यार्थी कुटीर उद्योगों की स्थापना, रेजिस्ट्रेशन, मानव संसाधन के बारे में जानकारी ले पायेंगे। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रीमती हंसा शुक्ला ने प्रबंधन एवं आईक्यूएसी सेल की सराहना करते हुये कहा आज के दौर में रोजगार स्थापित करना अत्यंत चुनौतीपूर्ण है। विद्यार्थी इस कार्यक्रम के माध्यम से स्वरोजगार स्थापित करने की प्रक्रिया से पूरी तरह परिचित होंगे साथ ही साथ बैंक व अन्य संस्थान से किस तरह वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकते हैं उसकी जानकारी प्राप्त होगी यह विद्यार्थियों के लिये स्वरोजगार की दिषा में महत्वपूर्ण कदम होगा।
श्री सीएस मूंड ने विद्यार्थियों को स्वरोजगार स्थापना के बारे में जानकारी देते हुये बताया, पांच लाख लागत तक लघु उद्योग, पाँच से दस करोड़ लागत से मध्यम उद्योग व दस करोड़ से अधिक उद्योगों की श्रेणी में आता है। इस पंद्रह दिवसीय मैनेजमेंट डेवलपमेंट कार्यक्रम में विद्यार्थियों को छोटे उद्योग लगाने की पूरी जानकारी दी गई। जिसमें लघुउद्योग की स्थापना के लिये प्रोजेक्ट बनाना व विभिन्न बैंक से लोन प्राप्त करना व लघुउद्योग के स्थापना के लिये प्रोजेक्ट बनाना व विभिन्न बैंक से लोन प्राप्त करने के बारे में जानकारी दी गई।
श्री राजीव एस डायरेक्टर ने बताया स्वरोजगार स्थापित करने के लिये सबसे पहले हमें जोखिम उठाना पड़ता है तथा विविध संसाधनों जैसे पूंजी-जमीन, मेनपावर, आईडिया, भवन आदि की आवश्यकता होती है। संसाधनों का सही उपयोग कर हम अपना स्वरोजगार स्थापित कर सकते हैं व लगन, मेहनत व दक्षता से इसे आगे बढ़ा सकते हैं। प्रारंभिक असफलता से न घबरा कर लगातार प्रयास से व्यवसाय में सफलता अवष्य मिलती है। वर्तमान में अवशिष्ट प्रबंधन में कुटीर उद्योग की अपार संभावनायें हैं तथा छोटे स्तर पर इंडस्ट्री लगाने के लिये बिजनेस आईडिया भी दिये।
सिटकान से उपस्थित के.सी. थॉमस ने बताया छोटे स्तर पर व्यवसाय प्रारंभ करने पर पंजीकरण की प्रक्रिया, सरकार की विविध योजनायें जिससे वित्तीय सहायता प्राप्त हो सकती है के बारे में जानकारी दी। स.प्रा. प्रबंधन श्री रविन्द्र मिश्रा शंकराचार्य टेक्नीकल महाविद्यालय ने बताया कम लागत में जैसे फिनाईल, धूप, केले का चिप्स आदि बनाकर बाजार में बेच सकते है।
श्री श्रवण पांण्डेय प्रबंधन बीआईटी दुर्ग ने हूमन रिसोर्स मैनेमेंट द्वारा कम संसाधनों में उत्पादन कैसे कर सकते है व आर.एन. पटेल, श्री विश्वजीत भट्टाचार्य, स.प्रा. प्रबंधन शंकराचार्य टेक्नीकल महाविद्यालय ने उत्पादित वस्तुओं की मार्केटिंग कैसे करें पर विस्तार से प्रकाश डाला।
पंद्रह दिन चलने वाले इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों को स्वरोजगार हेतु प्रेरित किया गया साथ ही बताया गया लघुउद्योग, कुटीर उद्योग कैसे स्थापित किया जा सकता है, व कहाँ-कहाँ से आर्थिक सहायता प्राप्त की जा सकती है?
विद्यार्थियों ने कार्यक्रम आयोजन पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा ऐसे कार्यक्रम का आयोजन होना चाहिये इससे हमें स्वरोजगार के बारे में जानकारी व प्रेरणा प्राप्त हुई।
कार्यक्रम में मंच-संचालन आईक्यूएसी प्रभारी योगेश देषमुख स.प्रा. बायोटेक्नोलॉजी व धन्यवाद स.प्रा. श्रीमती शैलजा पवार, शिक्षा विभाग ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में श्रीमती आरती गुप्ता, विभागाध्यक्ष, प्रबंधन विभाग व आईक्यूएसी सदस्य स.प्रा. टी बबीता, स.प्रा. श्वेता निर्मलकर ने विशेष सहयोग दिया। प्रषिक्षण कार्यक्रम में बीबीए व वाणिज्य संकाय के विद्यार्थियों ने लाभ लिया।

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