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आईबीएस पुणे की निदेशक ज्योति तिलक ने दिलाई 26/11 की याद

Jul 27, 2019

अमित पार्क इंटरनेशनल में हुआ फैकल्टी नॉलेज शेयरिंग प्रोग्राम भिलाई। आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल आईबीएस पुणे की निदेशक ज्योति तिलक ने उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हम बच्चों से उनकी मौलिकता, उत्सुकता और सोचने की क्षमता छीन रहे हैं। बच्चे मार्क्स मशीन बन गए हैं। मुम्बई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के दौरान होटल ताज के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शित कार्यसंस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संस्था और कार्य के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है।

भिलाई। आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल आईबीएस पुणे की निदेशक प्रो. ज्योति तिलक ने उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हम बच्चों से उनकी मौलिकता, उत्सुकता और सोचने की क्षमता छीन रहे हैं। बच्चे मार्क्स मशीन बन गए हैं। मुम्बई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के दौरान होटल ताज के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शित कार्यसंस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संस्था और कार्य के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है। भिलाई। आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल आईबीएस पुणे की निदेशक ज्योति तिलक ने उच्च शिक्षा के गिरते स्तर पर चिंता जताते हुए कहा कि हम बच्चों से उनकी मौलिकता, उत्सुकता और सोचने की क्षमता छीन रहे हैं। बच्चे मार्क्स मशीन बन गए हैं। मुम्बई में 26/11 को हुए आतंकी हमले के दौरान होटल ताज के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शित कार्यसंस्कृति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि संस्था और कार्य के प्रति उनकी निष्ठा और समर्पण से हम सभी को सीख लेने की जरूरत है।विभिन्न महाविद्यालयों से आए प्राध्यापकों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि संकट की उस घड़ी में भी होटल ताज का एक-एक कर्मचारी शांत बना रहा और अपने क्लायंट्स की सुरक्षा और होटल से उनकी सुरक्षित निकासी को सर्वोपरि रखते हुए सेवा में तत्पर रहा। उन्होंने अपने या अपने परिवार तक की चिंता नहीं की। इस कार्यसंस्कृति की चर्चा हार्वर्ड बिजनेस स्कूल ने भी की है। ताज के स्टाफ ने जो किया वह किसी नियमावली का हिस्सा नहीं था। वे स्वत: प्रेरणा से काम कर रहे थे।
उन्होंने ब्यूरोक्रेटिक, आॅटोक्रेटिक, प्रोसीजरल, ट्रांसफॉरमेशनल, पार्टिसिपेटिव और डेलिगेटिव सिस्टम्स की चर्चा करते हुए इनके गुण-दोषों का विश्लेषण किया। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ परिणाम तभी आते हैं जब हम प्रत्येक स्तर पर लोगों की व्यक्तिगत नेतृत्व क्षमता को उभरने के लिए अनुकूल माहौल प्रदान करते हैं।
उच्च शिक्षा पर तल्ख टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि स्कूलों में सालों की मेहनत से हम संक्षेपीकरण सीखते हैं। यह अपेक्षित भी है। पर स्नातक स्तर पर 24-24 पेज के उत्तर लिखने पर नम्बर मिलते हैं। इससे भी बुरा हाल शोध प्रबंध का है। 2 साल की कड़ी मेहनत से तैयार किये गये शोध प्रबंध को गोपनीय रखना होता है। इसे एक बोदा सम्मेलन में प्रस्तुत करना होता है। 2-3 साल में सम्पन्न हुए शोध के बारे में 3 मिनट में बताना होता है। यह न केवल बेतुका है बल्कि नॉलेज शेयरिंग कल्चर के भी आड़े आता है।
उन्होंने कहा कि आज उच्च शिक्षा संस्थानों में अकादमिक नेतृत्व विकसित किए जाने की जरूरत है। प्राध्यापक विद्यार्थियों में सोचने, समझने एवं सीखने की प्रवृत्ति विकसित करें। स्वयं को अपडेट करें, जिम्मेदारियां लें। नवोन्मेष को प्रोत्साहित करें, नए विचारों का स्वागत करें। जहां से भी सीखने मिले, स्वयं को अपडेट करें। क्षेत्र विशेष में हो सकता है कि आपका स्टूडेंट आपसे ज्यादा जानता हो। उसकी मदद लेने में भी कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
श्रेष्ठ लीडरशिप क्वालिटी की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि एक अच्छा लीडर सोचता है, उसपर काम करता है और दूसरों को उसके बारे में बताता है। वह पूरे दल को सकारण उद्देश्य की ओर लेकर जाता है। होटल ताज में जिस कार्यसंस्कृति का दर्शन पूरी दुनिया ने किया, उसके पीछे यही कारण था कि वे अपने कार्य और जिम्मेदारियों के प्रति सजग और समर्पित थे। वे अपने स्तर पर सोचने, तत्काल निर्णय लेने और उसपर अमल करने के लिए स्वतंत्र थे।
आरंभ में आईबीएस के छत्तीसगढ़ प्रमुख संजय आशटकर ने अतिथि वक्ता का परिचय दिया। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश के क्षेत्रीय प्रबंधक तनुज जेटली ने आईबीएस की कार्यसंस्कृति को रेखांकित किया।

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