भिलाई। पॉलीथीन को प्रतिबंधित करने के बाद अब विकल्प की तलाश तेजी से की जा रही है। इससे पहले कि कोई और पदार्थ पॉलीथीन की जगह ले ले, पहले की तरह कागज के ठोंगों और लिफाफों का उपयोग शुरू करना होगा। यह कुटीर उद्योग है जिससे घर-घर में पैसा आएगा और पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। इसी उद्देश्य को लेकर केम्प क्षेत्र की महिलाओं को कागज के लिफाफे और ठोंगे बनाने का प्रशिक्षण दिया गया। 30 से अधिक महिलाओं ने यह प्रशिक्षण प्राप्त किया।राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन के शहरी रोजगार कार्यक्रम के तहत उद्यमिता विकास कार्यक्रम का आयोजन मां राज राजेश्वरी महिला स्व सहायता समूह के भवन में 19 से 25 नवम्बर तक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया। जिला शहरी विकास अभिकरण की सिटी मिशन प्रबंधन इकाई के सहयोग से आयोजित इस शिविर में श्रीवास्तव ने महिलाओं को प्रशिक्षण दिया। उन्होंने बताया कि किराना दुकानों से लेकर गिफ्ट शॉप्स तक अब कागज के ही लिफाफों का प्रयोग किया जाना है।
उन्होंने बताया कि रेगुलर लिफाफों में मेहनत और लागत कम होती है वहीं फैंसी लिफाफों में कमाई अच्छी होती है। रेगुलर लिफाफों की मांग अधिक होती है और फैंसी लिफाफों की कम। अपनी रुचि के अनुसार घर पर ही काम करते हुए अतिरिक्त रोजगार किया जा सकता है।
समाजसेवी बी पोलम्मा ने इस अवसर पर कहा कि पहले भी कागज के ठोंगे बनते थे पर पॉलीथीन ने इसे चलन से बाहर कर दिया था। पॉलीथीन थैलियों का निर्माण फैक्ट्रियों में मशीन से होता था जिसमें कम मजदूरों की जरूरत पड़ती थी। इसकी खूब मांग थी। पॉलीथीन बंद होने के बाद इनका दौर लौट आया है। इसकी मांग बहुत है इसलिए जितना भी माल तैयार होगा पूरा का पूरा बिक जाएगा। इसे बनाने के लिए शिक्षा की भी कोई जरूरत नहीं है। घरेलू महिलाएं आसानी से इसे सीखकर रोजगार के साधन के रूप में अपना सकती हैं।