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केपीएस कुटेलाभाटा के वार्षिकोत्सव में चाणक्य से लेकर मोदी तक की झलक

Nov 25, 2019

शाला की प्रगति बयान करते भावुक हो गए चेयरमैन त्रिपाठी, बताया पिता को श्रद्धांजलि

KPS Kutelabhata Annual Functionभिलाई। केपीएस कुटेलाभाटा के वार्षिकोत्सव ‘इंद्रधनुष’ में चन्द्रगुप्त-चाणक्य से लेकर मोदी के नेतृत्व में नए भारत की झलक दिखाई दी। राष्ट्रभक्ति के थीम पर आधारित इस कार्यक्रम में भारत की सांस्कृतिक विरासत को खूबसूरती से पिरोया गया था। गणेश वन्दना में पर्यावरण, स्वच्छता एवं प्रदूषण के मुद्दे पर अवाम को झकझोरते हुए नए भारत के सृजन के लिए गणपति का आशीर्वाद मांगा गया। इस शाला की प्रगति का विवरण देते हुए चेयरमैन एमएम त्रिपाठी भावुक हो गए।KPS Chairman MM Tripathyअपने उद्बोधन में श्री त्रिपाठी में कहा कि उनके पिता बेहद सीमित आय वाले किसान थे। बच्चे को ऊंची शिक्षा देने की उनकी आस तो थी पर फीस के 12 रुपए देने में भी उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। पर उन्होंने शिक्षा के महत्व को समझा। यह उनकी तपस्या ही थी कि आज वे केपीएस ग्रुप को खड़ा कर पाए। उन्होंने कहा कि कुटेलाभाटा स्कूल में पढ़ने वाले अधिकांश बच्चों के पिता दिहाड़ी मजदूर हैं पर बच्चे को उच्च शिक्षा देना उनका भी सपना है। केपीएस कुटेलाभाटा उनके इसी सपने को पूरा कर रहा है।
केपीएस कुटेलाभाटा की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि न्यूनतम शुल्क में बच्चों को शिक्षा देने के लिए ही कुटेलाभाटा स्कूल प्रारंभ किया गया। स्कूल में प्रतिमाह केवल 500 रुपए फीस ली जाती है पर शिक्षा का स्तर और गुणवत्ता केपीएस नेहरूनगर जैसा है। 2014 में शुरू किए गए इस स्कूल के बच्चे आज धारा प्रवाह अंग्रेजी और हिन्दी में कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं। उन्होंने इस स्कूल के खर्च का आंशिक भार उठाने के लिए केपीएस नेहरू नगर के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कॉमर्स गुरू एवं मोटिवेशनल स्पीकर डॉ संतोष राय ने कहा कि श्री त्रिपाठी उनके गुरू रहे हैं। आज भी उनका मार्गदर्शन मिलता रहता है। इतनी ऊंचाई पर जाने के बाद भी वे उतने ही विनम्र एवं सरल हैं। दांत और जीभ का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि विनम्रता और लचीलापन दीर्घजीवी होते हैं। जीभ जन्म से ही रहती है और मृत्यु पर्यन्त साथ देती है जबकि दांत बाद मेें आते हैं और अंत आने से पहले ही झड़ भी जाते हैं। यह अलग बात है कि दांत समय समय पर जीभ को काटते रहते हैं पर इससे जीभ की आयु पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
KPS-Kutelabhata12 KPS-Kutelabhata11 KPS-Kutelabhata10 KPS-Kutelabhata-Indradhanus KPS-Kutelabhata07 KPS-Kutelabhata06 KPS-Kutelabhata03 KPS-Kutelabhata05 KPS Kutelabhata Indradhanushभिलाई इस्पात संयंत्र के प्रबंधक जनसम्पर्क विजय मैराल ने अपने स्कूली जीवन को याद करते हुए बताया कि श्री त्रिपाठी के चरणों में बैठकर उन्होंने गणित के साथ साथ जीवन मूल्यों की भी शिक्षा प्राप्त की। यह शिक्षा आज भी काम आ रही है। उन्होंने बच्चों को प्रेरित किया कि वे अपने गुरू से पाठ्यक्रम से इतर गुणों को भी ग्रहण करें।
राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत ‘इंद्रधनुष’ के दूसरे दिन चाणक्य के संकल्प और चन्द्रगुप्त मौर्य के राजा बनने की कथा प्रस्तुत की गई। इसमें चाणक्य कहते हैं कि एक शिक्षक चाहे तो तख्तो ताज पलट सकता है। राष्ट्र एवं शास्त्र की रक्षा के लिए आवश्यकता पड़ने पर शिक्षक को शस्त्र भी उठा लेना चाहिए। इसी कड़ी में पुलवामा हमला और इसके बाद भारतीय जवानों के संकल्प का जोशीला मंचन किया गया। दुश्मन को स्पष्ट संदेश दिया गया कि यह मोदी का भारत है। हर हमले का मुंह तोड़ जवाब दिया जाएगा। आवश्यकता पड़ने पर भारत अब घुसकर मारेगा।
KPS-Kutelabhata01 KPS-Kutelabhata02 KPS Kutelabhataगणेश वन्दना में पर्यावरण और स्वच्छता को नुकसान पहुंचाने वालों को जमकर प्रताड़ित किया गया। एक प्रसिद्ध गणपति वन्दना में पिरोये गए इन शब्दों ने दर्शकों को भी भीतर तक हिला दिया। इसके अलावा कृष्ण भक्ति और मीरा, राजस्थानी नृत्य, भांगड़ा, समूह गान के फूलों से ‘इंद्रधनुष’ को खूब सजाया गया।
साउंड ट्रैक पर प्रस्तुत किये गए कार्यक्रमों को संस्था की प्राचार्य मृदु लखोटिया ने स्वर दिया। प्रभावशाली उतार चढ़ाव के साथ उनकी संवाद अदायगी ने नाटक को चार चांद लगा दिये। आरंभ में शाला प्रतिवेदन स्कूल के हेड बाय सूर्य प्रकाश, हेडगर्ल तान्या, झमिता एवं हर्षा ने धाराप्रवाह अंग्रेजी में प्रस्तुत किया। उन्होंने पूरा प्रतिवेदन कंठस्थ कर लिया था।

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