भिलाई। भारतीय रेलवे सेवा के अफसर और बिलासपुर जोन के उपमुख्य कार्मिक अधिकारी डॉ. अनुराग मेश्राम ने कहा कि युवाओं में ज्यादातर सरकारी नौकरी चाहते हैं लेकिन अब परिदृश्य बदल रहा है। ऐसे में हम सोच सकते हैं कि आगे रोजगार के अवसर कितने बढ़ेंगे या घटेंगे। इसलिए हमें आगे बढ़ना है तो इन सारी चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए लक्ष्य तय करना होगा। उन्होंने कहा कि सिर्फ करियर ही सबकुछ नहीं है बल्कि यह जीवन का एक हिस्सा है। निजीकरण और वैश्वीकरण की नीतियों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि अब सरकारी नौकरियों के अवसर कम हो रहे हैं। ए-ग्रेड की नौकरियों में लैटरल इंट्री का प्रवेश हो चुका है और वह दिन दूर नहीं जब बी, सी और डी ग्रेड की नौकरियां भी लैटरल इंट्री से मिलेगी। आधुनिक तकनीक ने भी इस क्षेत्र में एक चुनौती खड़ी की है। आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस (एआई) इसका एक प्रमुख कारक है। आज ‘अलेक्सा’ का इस्तेमाल अजूबा नहीं रह गया है, जिसमें मनुष्य के दिशा-निर्देश पर एक मशीन सारे काम निपटा रही है।
उन्होंने अपनी निजी जिंदगी से जुड़े हुए प्रसंगों पर चर्चा करते हुए बताया कि उनके साइंस में अंक अच्छे थे तो मेडिकल में जाने सभी ने सलाह दी और उन्होंने परीक्षा पास कर मेडिकल की पढ़ाई भी पूरी कर ली लेकिन इस दौरान ऐसा लगा कि शायद उन्हें कुछ और करना है। उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की और चौथी बार में सफलता हाथ लगी। इस दौरान उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खोया। उन्होंने खुद को व्यस्त रखा। खाली समय में बच्चों के ट्यूशन पढ़ाते थे।
सवाल-जवाब सत्र में उन्होंने व्हाट्सएप या मोबाइल गेम के बजाए कोर्सेरा, ईडीएक्स और यूडीमाई जैसी वेबसाइट पर ज्यादा फोकस करने कहा। उन्होंने कहा कि हमारे आदर्श बाबासाहेब डा भीमराव आंबेडकर, ज्योतिबा फूले, सावित्री बाई फूले और पेरियार जैसे महान लोगों ने एक जमीन तैयार की है, जिस पर हमें अपने सपनों की फसल दृढ़ निश्चय के साथ उगाना है।
इस संवाद का आयोजन मूलनिवासी कला साहित्य और फिल्म फेस्टिवल भिलाई द्वारा सतनाम भवन में किया गया था। इसमें बड़ी संख्या में युवाओं ने भागीदारी दी। गीतकार लक्ष्मीनारायण कुम्भकार तथा नाटककार राकेश बम्बार्डे के नेतृत्व में युवाओं ने भारत के संविधान पर समूह गीत प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम को मूलनिवासी कला साहित्य और फिल्म फेस्टिवल के अध्यक्ष एल उमाकांत, गुरु घासीदास सेवा समिति के अध्यक्ष एस के केसकर और छत्तीसगढ़ अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह कैम्बो ने भी संबोधित किया। संचालन आकाशवाणी के उद्घोषक पंकज मेश्राम ने किया।