भिलाई। कहते हैं एक महिला के शिक्षित होने से पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। पर यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति है जिसने स्वयं शिक्षित होकर पूरे गांव की तकदीर और तस्वीर बदल दी। आज उनके विस्तारित परिवार में 33 शिक्षक हैं। गांव के विपन्न परिवारों को उन्होंने शिक्षण से जुड़े विभिन्न कार्यों में नियोजित कर आत्मनिर्भर बना छात्र मदन मोहन त्रिपाठी की, जिन्होंने कृष्णा पब्लिक स्कूल नामक एक विशाल परिवार को जन्म दिया। आज इस समूह में 3 शहरों में 12 सीनियर सेकण्डरी स्कूलों सहित 32 स्कूल, इंजीनियरिंग समेत दो महाविद्यालय एवं एक ललित कला विद्यालय का संचालन हो रहा है। मदन मोहन त्रिपाठी का जन्म 7 नवम्बर 1943 को गोरखपुर के एक छोटे से गांव में हुआ। उन्होंने बचपन में अभाव देखे हैं। लगभग पूरा गांव विपन्नों की स्थिति में जी रहा था। ऐसी स्थिति में एक शिक्षा ही थी जिसपर वे भरोसा कर सकते थे। शिक्षित होकर वे स्वयं के साथ ही पूरे गांव के हालात बदलने का सपना देखा करते थे। जागी आंखों से देखे गए इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने पूरी ताकत लगा दी। पूरा मन लगाकर पढ़ाई की और अपने विषयों में पारंगत हो गए।
आरंभिक शिक्षा गांव में पूरा करने के बाद उन्होंने गोरखपुर से एमएससी की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद 1969 में वे भिलाई आ गए। यहां भिलाई इस्पात संयंत्र के मशहूर भिलाई विद्यालय से उन्होंने अपने अध्यापन का सफर प्रारंभ किया। गणित के युवा शिक्षक मदन मोहन त्रिपाठी की ख्याति जल्द ही पूरे शहर में फैल गई। भिलाई विद्यालय के अलावा अन्य हाईस्कूलों और सीनियर सेकण्डरी स्कूलों के बच्चे भी उनके यहां ट्यूशन पढ़ने के लिए जाने लगे। उस समय के भिलाई में सबका सपना गणित के साथ हाईस्कूल/हायर सेकण्डरी या स्नातक की उपाधि प्राप्त कर जेओटी या एसओटी के रूप मेें भिलाई इस्पात संयंत्र से जुड़ना था। श्री त्रिपाठी ने किसी को निराश नहीं किया। भोर से संध्या तक वे विद्यार्थियों को गणित की शिक्षा देते रहे।
समय का चक्का घूमता रहा और क्रमश: तरक्की करते हुए वे प्राचार्य के पद तक पहुंचे। अब तक उनका अनुभव परिपक्व हो चुका था। अब उन्होंने दूसरों को रोजगार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठा लिया। उनकी कुल पूंजी गणित और विज्ञान की शिक्षा, बीएसपी के स्कूलों में पढ़ाने का अनुभव और एक अच्छे शिक्षक के रूप में उनकी ख्याति थी। 1994 में उन्होंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली और कृष्णा पब्लिक स्कूल की बागडोर संभाल ली।
स्वयं को तिल-तिल जलाकर दूसरों के जीवन को रौशन करने वाले श्री त्रिपाठी के नेतृत्व में स्कूल ने लगातार तरक्की की और कामयाबी के बेशुमार कीर्ति स्तंभ खड़े कर दिये। आज 32 शाखाओं के साथ कृष्णा पब्लिक स्कूल अंचल का सबसे बड़ा निजी एजुकेशन ग्रुप है। इसमें 12 सीनियर सेकण्डरी स्कूल शामिल हैं। इनमें से 5 भिलाई में, 6 रायपुर तथा एक बिलासपुर में है। कृष्णा पब्लिक स्कूल नेहरू नगर से शुरू हुआ यह सफर अनवरत जारी है। समूह में अब एक इंजीनियरिंग कालेज, एक नृत्य एवं ललित कला विद्यालय तथा एक डिग्री कालेज भी शामिल है।
श्री त्रिपाठी बताते हैं कि उन्होंने समाज सेवा पहले अपने परिवार से शुरू की और फिर गांव को गरीबी से उन्मुक्त करने में जुट गए। अपने शैक्षणिक उपक्रमों में उन्होंने सभी को उनकी योग्यता और शिक्षा के अनुसार रोजगार प्रदान किया। आज इस ग्रुप में उनके विस्तृत परिवार के 33 सदस्य शिक्षक हैं। कुछ अन्य लोग स्कूल से जुड़े विभिन्न कार्यों में लगे हैं। इसमें उनके गांव के लोग भी शामिल हैं। उन्होंने अपने छात्रों को भी स्कूल के साथ जुड़कर आगे बढ़ने का अवसर दिया।
आज 75 वर्ष की आयु में वे कृष्णा पब्लिक स्कूल सेवाश्रम कुटेलाभाठा का संचालन कर रहे हैं। वे अपना अधिकांश समय इसी स्कूल को देते हैं। यहां बहुत कम फीस में बच्चों को पब्लिक स्कूल स्तर की शिक्षा मिल रही है। साथ ही वे इन बच्चों में अनुशासन और संघर्ष का भाव जगाने की कोशिश कर रहे हैं। हाल ही में इस स्कूल के 1042 बच्चों ने उनकी प्रेरणा से प्लास्टिक के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए स्टील के टिफिन बाक्सों को अपनाया है। राज्य के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने इस कार्य के लिए भी स्कूल की सराहना की है।
Congratulations to Shri M M Tripathiji and the entire Krishna Group of Institutions.
Blessed and privileged to be his student as well as work under his guidance.
Sir how are you. we all know that you are just Bhagwan for us.Today where we are just because of you. we all loved you sir.