दुर्ग। स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाविद्यालय में विश्व आत्महत्या निरोधक दिवस पर परिचर्चा का आयोजन हेल्दी प्रैक्टिस इकाई के द्वारा करवाया गया। हेल्दी प्रैक्टिस की प्रभारी डॉ. रचना पांडेय ने कहा कि हमें अपने आस-पास के लोगों के प्रति भी जागरूक रहना चाहिये अगर किसी में नकारात्मक विचार का आभास हो तो उसकी मदद करनी चाहिये। प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा कि हमें अपने गुस्से या नकारात्मक विचार के समय अपना ध्यान किसी दूसरे कार्य में लगाना चाहिये जैसे मनपसंद गाना सुनना, पेंटिंग करना, खेलना एवं गार्डनिंग इससे नकारात्मक विचार दूर होते हैं और रचनात्मक कार्य की शुरूआत होती है।
परिचर्चा में शिक्षकों एवं छात्रों ने भी हिस्सा लिया। डॉ. शमा ए. बेग, विभागाध्यक्ष माईक्रोबायोलॉजी ने कहा कि आत्महत्या के बारे में सोचने से पहले यदि अपनी परेशानियों या तकलीफों की चर्चा परिवार या दोस्तों से की जाये तो उनके सुझाव और सहयोग से इसे रोका जा सकता है।
डॉ. तृषा शर्मा एसोसिएट प्रोफेसर, शिक्षा विभाग ने कहा कि तनाव एवं अवसाद के कारण कभी-कभी लोग आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते हैं इससे बाहर आने का सबसे अच्छा तरीका है गुस्से या तनाव के समय अपना पसंद का काम करना।
श्री कृष्णकांत दुबे, विभागाध्यक्ष कम्प्यूटर ने कहा कि परवरिश के समय बच्चों को हर स्थिति का सामना करना सिखाया जाना चाहिये। डॉ. रजनी मुदलियार, ने भी अपने विचार रखे।
बीसीए प्रथम वर्ष की छात्रा रिचा पटेल ने कहा कि पालकों को बच्चों पर अपनी इच्छायें नहीं थोपनी चाहिये, बच्चों पर मानसिक दबाव पड़ता है जिसे वे सहन नहीं कर पाते।
छात्र नितीष ठाकुर ने कहा कि आत्महत्या जैसे निर्णय इंसान की मानसिक विकलांगता को प्रदर्षित करता है। हमें हमेशा जीवन के लिये सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिये। बीएससी की छात्रा रिचा ने भी अपने विचार रखे।
कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. शैलजा पवार, राशि शर्मा, टी. बबीता, पूजा सोड़ा का योगदान रहा।