भारतीय वायु सेना के जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान ने खुद को देश के भाल का चंदन साबित किया है। उन्होंने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हथियार की असली ताकत उसे साधने वाले हाथों में होती है। अपने पुराने मिग-21 से अभिनंदन ने न केवल अत्याधुनिक एफ-16 को मार गिराया बल्कि दुश्मन के कब्जे में भी बहादुरी का परिचय दिया। आतंक के खिलाफ मोदी सरकार की सख्त नीति के बीच पाकिस्तान को आनन फानन में उनकी रिहाई की घोषणा करनी पड़ी और 55 घंटे के भीतर उन्हें सही सलामत भारत को लौटा देना पड़ा।विदेशी खैरात पर इतराने वाले पाकिस्तान को इससे पहले भी भारत के पराक्रम के सामने हार माननी पड़ी है। 1965 के युद्ध में भारतीय जांबाजों ने अमरीकी पैटन टैंकों से लैस पाकिस्तान की सेना को करारी शिकस्त दी थी। अमरीकी पैटन टैंक उस समय तक अजेय माने जाते थे। सितम्बर 1965 में हुई असल उत्तर की इस लड़ाई में भारत ने पाकिस्तान के 99 टैंकों को कीचड़ युक्त खेतों में फंसा कर या तो नष्ट कर दिया था या फिर अपने कब्जे में कर लिया था। इनमें से अधिकांश एम-47 तथा एम-48 पैटन टैंक थे। ये टैंक आज कई बड़े शहरों में चबूतरों पर भारतीय शौर्य और पराक्रम की गाथा सुना रहे हैं।
इस बार पाकिस्तान ने अमरीका से प्राप्त अत्याधुनिक एफ-16 विमानों का उपयोग भारत के खिलाफ किया। भारतीय पाइलटों ने गुजरे जमाने के मिग-21 से इनका पीछा किया और अपनी सीमा से बाहर खदेड़ दिया। इनमें से एक को विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान उड़ा रहे थे। उन्होंने एक एफ-16 को मार गिराया और इससे पहले कि दूसरे को निशाना बनाते स्वयं उनका विमान निशाना बन गया। हालांकि विमान ध्वस्त होने से पहले उन्होंने खुद को इजेक्ट कर लिया पर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में जा गिरे। लोगों ने उन्हें पकड़कर पाकिस्तान की सेना के हवाले कर दिया।
पाकिस्तान की सेना ने विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को तोड़ने की बहुत कोशिश की पर वे टस से मस नहीं हुए। इधर भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दबाव बनाना शुरू कर दिया। अंतत: 55 घंटे बाद पाकिस्तान को भारत की बात माननी पड़ी और अभिनंदन को भारत के सुपुर्द करना पड़ा।
अभिनंदन अपने परिवार की तीसरी पीढ़ी के एयरफोर्स अधिकारी हैं। उनके पिता एयर मार्शल (सेवानिवृत्त) एस वर्तमान भी मिग-21 उड़ाते थे। उन्होंने करगिल युद्ध में भाग लिया था। उन्हें परम विशिष्ट सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल मिल चुका है। उनकी पत्नी तन्वी मारवाह वायु सेना में स्क्वाड्रन लीडर थीं। उनके दादाजी सिम्हाकुट्टी वर्तमान भी वायुसेना में थे और द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हुए थे। अभिनंदन की सकुशल वापसी पर पूरे देश में हर्ष का माहौल है।