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कृतज्ञ होना सीख लिया तो आ जाएगी जिन्दगी जीने की कला : डॉ दीक्षित

Oct 17, 2019

मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के सम्मान समारोह में ‘जीना इसी का नाम है’ व्याख्यान

 भिलाई। मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट में नए सदस्यों के अधिष्ठापन, कृति व्यक्तियों का सम्मान एवं ‘जीना इसी का नाम है’ व्याख्यान का आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता डॉ आलोक दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि जिसने कृतज्ञ होना सीख लिया, उसे जीवन जीने की कला भी आ जाएगी। माता पिता, धरती, प्रकृति, अपना शरीर, समाज, गुरूजन या जिसके भी सम्पर्क में आने का सौभाग्य हम प्राप्त करते हैं, उनके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए।भिलाई। मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट में नए सदस्यों के अधिष्ठापन, कृति व्यक्तियों का सम्मान एवं ‘जीना इसी का नाम है’ व्याख्यान का आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता डॉ आलोक दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि जिसने कृतज्ञ होना सीख लिया, उसे जीवन जीने की कला भी आ जाएगी। माता पिता, धरती, प्रकृति, अपना शरीर, समाज, गुरूजन या जिसके भी सम्पर्क में आने का सौभाग्य हम प्राप्त करते हैं, उनके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए।MSSCT-Bhilai-06 MSSCT-Bhilai-02 MSSCT-Bhilai-04  भिलाई। मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट में नए सदस्यों के अधिष्ठापन, कृति व्यक्तियों का सम्मान एवं ‘जीना इसी का नाम है’ व्याख्यान का आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता डॉ आलोक दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि जिसने कृतज्ञ होना सीख लिया, उसे जीवन जीने की कला भी आ जाएगी। माता पिता, धरती, प्रकृति, अपना शरीर, समाज, गुरूजन या जिसके भी सम्पर्क में आने का सौभाग्य हम प्राप्त करते हैं, उनके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए।अल्ट्रा मैराथॉन रनर डॉ दीक्षित ने कहा कि 80 किमी की दौड़ आप सिर्फ मांसपेशियों की शक्ति से पूरी नहीं कर सकते। मांसपेशियां 2-4 किलोमीटर में थक जाएंगी, दिमाग भी 5-10 किलोमीटर में थक जाएगा। इसके बाद दिल से दौड़ा जा सकता है पर लंबी दूरी तय करने के लिए आपको दौड़ के प्रति स्वयं को पूरी तरह समर्पित कर देना होगा। तब ईश्वर आपको आपकी मंजिल तक ले जाएगा। इसे हम आध्यात्मिक दौड़ कह सकते हैं। ऐसा ही जीवन के साथ भी होता है।
डार्विन के सिद्धांत की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि स्ट्रगल फॉर एक्सिसटेंस, सर्वाइवल आॅफ द फिटेस्ट के साथ वे एडेप्टिबिलिटी को भी जोड़ना चाहेंगे। मनुष्य सबसे ज्यादा फिट नहीं होने के बावजूद आज तक अपना अस्तित्व कायम रखने में सफल है। यह परिवेश के साथ सामंजस्य बैठाने की उसकी क्षमता के कारण है। वह बर्फीली चोटियों पर भी जीवित रह सकता है और भट्टियों के पास भी।
मैराथन का इतिहास दोहराते हुए उन्होंने कहा कि मैराथन 42.195 किलोमीटर का होता है। इससे अधिक दूरी की दौड़ अल्ट्रा मैराथम कहलाता है। वे स्वयं 80 किलोमीटर तक दौड़ते हैं। ताई-ची ट्रेनर डॉ आलोक दीक्षित ने कहा कि प्रहार की शक्ति के साथ सामंजस्य बैठाकर उसका अपने हक में उपयोग किया जा सकता है।
ट्रस्ट के संस्थापक कॉमर्स गुरू डॉ संतोष राय ने आमंत्रित व्याख्यान का श्रेय डॉ मिट्ठू को देते हुए कहा कि हम सभी जीवन के किसी न किसी मोड़ पर थकान का अनुभव करने लगते हैं। यदि डॉ दीक्षित के चार स्टेज के फार्मूले को अपनाया जाए तो ऊर्जा के स्तर को हमेशा युवा रखा जा सकता है। उन्होंने हर्ष व्यक्त किया कि थोड़े ही समय के भीतर ट्रस्ट के 150 सदस्य बन चुके हैं। ट्रस्ट वंचित बच्चों के लिए एक आदर्श स्कूल की स्थापना की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है। ट्रस्ट द्वारा लिबास के नाम से नेहरू नगर पश्चिम में एक प्रकल्प चलाया जा रहा है जहां से जरूरतमंदों को वस्त्र प्रदान किया जाता है। इसे ट्रस्ट की युवा वाहिनी ही संचालित करती है। कार्यक्रम के संचालन में ट्रस्ट के उपाध्यक्ष विपिन बंसल ने भी सहयोग किया। एसपी शशिमोहन सिंह, एडिशनल एसपी शहर रोहित झा, डॉ राजन तिवारी, डॉ रतन तिवारी कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि थे।
इस अवसर पर अपने बच्चों में अच्छे संस्कार विकसित करने के लिए श्रीमती गिरिजा देवी, प्रख्यात लोक गायिका श्रीमती रजनी रजक, प्रसिद्ध अधिवक्ता वयोवृद्ध जनार्दन शर्मा एवं प्रख्यात गजल-भजन गायक प्रभंजय चतुर्वेदी को सम्मानित किया गया। मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट के नए सदस्यों अतुल महाजन, एसके आलम, रंजीत जायसवाल एवं सुरेश जैन का अधिष्ठापन किया गया। ट्रस्ट के कार्यक्रमों की बेहतरीन फोटोग्राफी के लिए अपूर्वा मिश्रा, प्रीति शर्मा, प्रसन्नजीत शाह, पूरब पन्नालाल एवं हिमांशु खुटे को सम्मानित किया गया।
 भिलाई। मां शारदा सामर्थ्य चैरिटेबल ट्रस्ट में नए सदस्यों के अधिष्ठापन, कृति व्यक्तियों का सम्मान एवं ‘जीना इसी का नाम है’ व्याख्यान का आयोजन किया गया। आमंत्रित वक्ता डॉ आलोक दीक्षित ने इस अवसर पर कहा कि जिसने कृतज्ञ होना सीख लिया, उसे जीवन जीने की कला भी आ जाएगी। माता पिता, धरती, प्रकृति, अपना शरीर, समाज, गुरूजन या जिसके भी सम्पर्क में आने का सौभाग्य हम प्राप्त करते हैं, उनके प्रति हमें कृतज्ञ होना चाहिए।कार्यक्रम के आरंभ में ट्रस्ट के सदस्यों ने सुमधुर गीत प्रस्तुत किये। डॉ वीरेन्द्र सूरी, डॉ नवीन कौरा, भिलाई मैत्री कालेज के अध्यक्ष एस सजीव-प्राचार्य श्रीमती वीणा सजीव, गुंजन त्रिपाठी ने बालीवुड के गीतों से समा बांध दिया। इस अवसर पर ट्रस्ट के सदस्यों के साथ ही डॉ संतोष राय इंस्टीट्यूट की पूरी टीम भी मौजूद थी।

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