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गौरी-गौरा पर्व : विघ्नों का नाश करने मुख्यमंत्री ने बांह पर झेली कोड़े की मार

Oct 31, 2019

दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरी-गौरा पूजन के अवसर पर सभी परम्पराओं का पालन किया। ग्राम जंजगिरी में उन्होंने गौरी-गौरा एवं गोवर्धन पूजा के बाद परम्परा के अनुसार बांह पर कोड़े खाए और प्रदेशवासियों की मंगल कामना की। बांह पर यह प्रहार कुश से बने सोंटे से किया जाता है। मान्यता है कि इससे सभी कष्टों और विघ्नों का नाश हो जाता है। वे कुम्हारी के लिट्टी बाबा चौक पर आयोजित पूजा में भी सम्मिलित हुए।दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरी-गौरा पूजन के अवसर पर सभी परम्पराओं का पालन किया। ग्राम जंजगिरी में उन्होंने गौरी-गौरा एवं गोवर्धन पूजा के बाद परम्परा के अनुसार बांह पर कोड़े खाए और प्रदेशवासियों की मंगल कामना की। बांह पर यह प्रहार कुश से बने सोंटे से किया जाता है। मान्यता है कि इससे सभी कष्टों और विघ्नों का नाश हो जाता है। वे कुम्हारी के लिट्टी बाबा चौक पर आयोजित पूजा में भी सम्मिलित हुए।दुर्ग। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गौरी-गौरा पूजन के अवसर पर सभी परम्पराओं का पालन किया। ग्राम जंजगिरी में उन्होंने गौरी-गौरा एवं गोवर्धन पूजा के बाद परम्परा के अनुसार बांह पर कोड़े खाए और प्रदेशवासियों की मंगल कामना की। बांह पर यह प्रहार कुश से बने सोंटे से किया जाता है। मान्यता है कि इससे सभी कष्टों और विघ्नों का नाश हो जाता है। वे कुम्हारी के लिट्टी बाबा चौक पर आयोजित पूजा में भी सम्मिलित हुए।छत्तीसगढ़ में दीवाली का असल उजास और उमंग गांवों में दिखता है। लक्ष्मी पूजा के अगले दिन गौरा-गौरी पूजन और गोवर्धन पूजा ग्रामीणजनों के लिए अथाह उल्लास का क्षण होता है। इसमें सहभागिता देने, गौरा-गौरी से प्रदेशवासियों की मंगलकामना की प्रार्थना लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सुबह कुम्हारी के लिट्टी बाबा चौक और ग्राम जजंगिरी पहुंचे। वहां परंपरानुसार उन्होंने पूजा अर्चना की। इसके पश्चात उन्होंने कुर्ते को समेट कर अपनी नंगी बांह आगे कर दी जिसपर परंपरानुसार एक ग्रामीण ने कुश से बने सोंटे से प्रहार किया। यह सभी विध्नों के नाश तथा मंगल कामना के लिए की जाने वाली परंपरा है।
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि यह हमारे देवी- देवताओं से आशीर्वाद लेने का पर्व है। शुभ की कामना का पर्व है। अपनी गांव की मिट्टी को सम्मान देने का पर्व है। गोवंश की समृद्धि का पर्व है और छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता का अनूठा पर्व है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आप लोगों के बीच इस अवसर पर आकर हर्षित हूँ। दीवाली का आनंद आप लोगों के बीच ही है। छत्तीसगढ़ में इतनी सुंदर परम्परायें त्योहार के अवसर पर हैं कि इससे पर्व का सौभाग्य तो हासिल होता ही है। आपस में प्रेम भी बढ़ता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि यह गोवंश की समृद्धि का पर्व भी है। जिस गोधन से हमें इतना कुछ मिलता है। उसकी सेवा करने का, उसको सहेजने के संकल्प करने का पर्व है।
अपने बीच मुख्यमंत्री को पाकर ग्रामीण बहुत उत्साहित हुए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री इतने प्रेम से हमारे ग्रामीण उत्सवों में शामिल होते हैं। यह बहुत अच्छा लगता है। उन्होंने अपना त्योहार हमारे साथ मनाने का निर्णय लिया, यह भी बहुत अच्छा लगा। जब ऐसे आयोजनों में मुख्यमंत्री हिस्सा लेते हैं तो नई पीढ़ी को भी एक सकारात्मक संदेश मिलता है कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेज कर रखें।

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