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साइंस कालेज में नैक की नई मूल्यांकन पद्धति पर कार्यशाला का आयोजन

Oct 27, 2019

दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक बंगलौर द्वारा जारी नई मूल्यांकन पद्धति पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय के आईक्यूएसी द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह तथा आईक्यूएसी संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने संयुक्त रूप से बताया कि इस कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों के साथ-साथ शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी की प्राचार्य डॉ. रक्षा सिंह एवं सहायक प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया।दुर्ग। शासकीय विश्वनाथ यादव तामस्कर स्नातकोत्तर स्वशासी महाविद्यालय में राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक बंगलौर द्वारा जारी नई मूल्यांकन पद्धति पर दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन महाविद्यालय के आईक्यूएसी द्वारा किया गया। प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह तथा आईक्यूएसी संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने संयुक्त रूप से बताया कि इस कार्यशाला में महाविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्षों, प्राध्यापकों के साथ-साथ शंकराचार्य महाविद्यालय जुनवानी की प्राचार्य डॉ. रक्षा सिंह एवं सहायक प्राध्यापकों ने हिस्सा लिया। NAAC-workshop-3 राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषदशुभारंभ के अवसर पर प्राचार्य डॉ. आरएन सिंह ने कहा कि शिक्षकों का कार्य अध्यापन के साथ-साथ विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास तथा समाज में रचनात्मक वातावरण तैयार करना है। उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रतिस्पर्धा के युग में हमें ऐसे विद्यार्थी तैयार करना है, जो स्थानीय से लेकर विश्व स्तर तक की स्पर्धाओं में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर सकें। डॉ. सिंह ने केवल नौकरी को ही आधार न मानने की सलाह देते हुए कहा कि स्वरोजगार एवं श्रेष्ठ नागरिक बनने हेतु भी हम सबको विद्यार्थियों को तैयार करना है।
महाविद्यालय आईक्यूएसी के सदस्य एवं भूगर्भशास्त्र के सहायक प्राध्यापक डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने कार्यशाला के दोनों दिवसों में पावर प्वाइंट प्रस्तुति के माध्यम से नैक की नई मूल्यांकन पद्धति एवं उससे जुड़े 07 प्रमुख बिन्दुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। डॉ. श्रीवास्तव ने बताया कि नैक की नई पद्धति में 1000 अंकों की कुल मूल्यांकन अंकों में से महाविद्यालय 50 अंकों के प्रश्न अपनी आवश्यकतानुसार विलोपित कर सकते है। इस प्रकार महाविद्यालयों का मूल्यांकन 950 अंकों में से किया जा सकेगा।
उन्होंने बताया कि नैक ने विद्यार्थियों से जुड़े हर मुद्दे को महत्व देते हुए महाविद्यालय प्रशासन एवं शिक्षकों को उत्तरदायी मानते हुए प्रत्येक घटनाक्रम अथवा गतिविधि का दस्तावेज सहित प्रमाण मांगा है। अत: महाविद्यालय की हर गतिविधि का अच्छी तरह दस्तावेजीकरण आवश्यक है। नैक मूल्यांकन हेतु प्रथम चरण में पंजीकरण, द्वितीय चरण में आईआईक्यूए आवेदन नैक को भेजना, तृतीय चरण में सेल्फ स्टडी रिपोर्ट तैयार कर नैक को भेजना तथा चतुर्थ चरण में महाविद्यालय में नैक विशेषज्ञों की टीम का आगमन एवं पांचवे चरण में नैक मुख्यालय द्वारा महाविद्यालय को ग्रेड आबंटन की प्रक्रिया शामिल है।
डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने अपने प्रस्तुतिकरण के दौरान बताया कि महाविद्यालय द्वारा भेजे गये हर डाटा के सत्यापन हेतु नैक ने नई पद्धति डाटा वरिफिकेशन तथा वेलिडेशन आरंभ की है। इसके अंतर्गत प्रत्येक महाविद्यालय के आंकड़ों का सत्यापन नैक द्वारा नियुक्त एनजीओ डीवीवी पार्टनर द्वारा किया जावेगा।
इसी प्रकार महाविद्यालय से संबंधित विद्यार्थियों का दृष्टिकोण जानने के लिए नैक द्वारा महाविद्यालय की कुल छात्र संख्या के 10 प्रतिशत विद्यार्थियों से ईमेल द्वारा संपर्क स्थापित कर उनसे जानकारी मांगी जायेगी। इन प्रमुख बिंदुओं के अलावा महाविद्यालय के पठन-पाठन, पाठ्यक्रम, उपलब्ध संसाधन, छात्रों का विकास, अधोसंरचना, प्रबंधन की कार्यप्रणाली तथा दो बेस्ट प्रेक्टिस से जुड़े लगभग 140 प्रश्न युक्त सेल्फ स्टडी रिपोर्ट तैयार कर महाविद्यालय को नैक को आॅनलाईन रूप से भेजना अनिवार्य है।
कार्यशाला में उपस्थित प्राध्यापकों डॉ. शकील हुसैन, डॉ. व्ही.एस.गीते, डॉ. विनोद अहिरवार, डॉ. अनुपमा कष्यप, डॉ. ओ.पी. गुप्ता आदि ने प्रष्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। प्राध्यापकों के अनेक प्रश्नों के उत्तर प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह एवं डॉ. प्रशांत श्रीवास्तव ने दिये। कार्यशाला के अंत में धन्यवाद ज्ञापन आईक्यूएसी संयोजक डॉ. जगजीत कौर सलूजा ने दिया।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए शंकराचार्य कालेज, जुनवानी की प्राचार्य डॉ. रक्षा सिंह ने कार्यशाला को अत्यंत उपयोगी बताते हुये कहा कि इस प्रकार अग्रणी महाविद्यालय के सहयोग से छोटे तथा निजी महाविद्यालयों को काफी लाभ होता है। शंकराचार्य कालेज, के अतिरिक्त निदेशक जे.दुर्गाप्रसाद राव ने भविष्य में भी इसी प्रकार के रचनात्मक मार्गदर्शन हेतु साइंस कालेज, दुर्ग के प्राचार्य डॉ. आर.एन. सिंह से आग्रह किया।

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