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एमजे कालेज में राज्य स्थापना दिवस : जशपुर के हाथी से लेकर आमागढ़ की सुरंग पर चर्चा

Nov 1, 2019

भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर एमजे कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जशपुर के हाथियों से लेकर बस्तर की मुर्गा लड़ाई, आमागढ़ की सुरंग तक के विषय में बताया। मौसम, कृषि से लेकर तीज त्यौहार एवं पकवानों तक की भी चर्चा की गई। बच्चों ने दूसरों को काफी रुचि लेकर सुना और अपने जिले की बातें भी बढ़चढ़कर शेयर कीं। बच्चों ने बस्तर में होने वाली मुर्गा लड़ाई, कई कई हफ्तों तक चलने वाले देव पर्व, दशहरा से लेकर चापड़ा चटनी, करील, बोड़ा, सल्फी, छिंदरस के बारे में भी बताया। डॉ कन्नौजे ने काफी रुचि लेकर बच्चों से बातें कीं। भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एमजे कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जशपुर के हाथियों से लेकर बस्तर की मुर्गा लड़ाई, आमागढ़ की सुरंग तक के विषय में बताया। मौसम, कृषि से लेकर तीज त्यौहार एवं पकवानों तक की भी चर्चा की गई। बच्चों ने दूसरों को काफी रुचि लेकर सुना और अपने जिले की बातें भी बढ़चढ़कर शेयर कीं। बच्चों ने बस्तर में होने वाली मुर्गा लड़ाई, कई कई हफ्तों तक चलने वाले देव पर्व, दशहरा से लेकर चापड़ा चटनी, करील, बोड़ा, सल्फी, छिंदरस के बारे में भी बताया। डॉ कन्नौजे ने काफी रुचि लेकर बच्चों से बातें कीं। भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर एमजे कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जशपुर के हाथियों से लेकर बस्तर की मुर्गा लड़ाई, आमागढ़ की सुरंग तक के विषय में बताया। मौसम, कृषि से लेकर तीज त्यौहार एवं पकवानों तक की भी चर्चा की गई। बच्चों ने दूसरों को काफी रुचि लेकर सुना और अपने जिले की बातें भी बढ़चढ़कर शेयर कीं। बच्चों ने बस्तर में होने वाली मुर्गा लड़ाई, कई कई हफ्तों तक चलने वाले देव पर्व, दशहरा से लेकर चापड़ा चटनी, करील, बोड़ा, सल्फी, छिंदरस के बारे में भी बताया। डॉ कन्नौजे ने काफी रुचि लेकर बच्चों से बातें कीं। प्राचार्य डॉ अनिल चौबे की अध्यक्षता में आयोजित इस गोष्ठी में एनएसएस प्रभारी डॉ जेपी कन्नौजे, नर्सिंग महाविद्यालय की प्राचार्य सी कन्नम्मल तथा सहा. प्राध्यापकगण डैनियल तमिल सेलवन, पूर्णिमा दास, प्रवीण कुमार, तारामति, कंचन एवं नेहा देवांगन ने भी हिस्सा लिया। सहा. प्राध्यापक दीपक रंजन दास ने सूत्रधार की भूमिका निभाई।
कुनकुरी की दीपशिखा पन्ना ने एशिया के दूसरे सबसे बड़े गिरजाघर महागिरजा के विषय में बताया। वहीं जशपुर की निशा रानी तिरकी ने रंजीता स्टेडियम के बारे में बताया। चंद्रकला पटेल ने सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर, सम्बलपुर कांकेर की साक्षी जांगड़े ने स्वयंभू गणेश मंदिर, कोंडागांव की मुक्ता रक्षित ने खेती बाड़ी एवं मिठाइयों के बारे में बताया। खैरागढ़ की आरती वर्मा ने जहां इंदिरा संगीत कला विश्वविद्यालय और विरासत की बातें कीं वहीं बेमेतरा की नेहा सेन ने भद्रकाली मंदिर एवं खप्पर निकाले जाने की रोचक प्रथा की जानकारी दी। कांकेर की रचना कुलदीप ने जंगल वारफेयर कालेज और वनवासी संस्कृति के बारे में बताया। नरहरपुर की रोशनी पाण्डे, बेमेतरा की कामिनी साहू ने अपने अपने स्थान की विशेषताओं का वर्णन किया। जशपुर की पल्लवी पटेल, सीमा, रोशलिन तिरकी, आकांक्षा एक्का, अविता एक्का एवं जयमाला पैकरा ने तुरियालगा, सिसरिंगा, लोदाम, फर्साबहार के बारे में बताया।
भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर एमजे कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जशपुर के हाथियों से लेकर बस्तर की मुर्गा लड़ाई, आमागढ़ की सुरंग तक के विषय में बताया। मौसम, कृषि से लेकर तीज त्यौहार एवं पकवानों तक की भी चर्चा की गई। बच्चों ने दूसरों को काफी रुचि लेकर सुना और अपने जिले की बातें भी बढ़चढ़कर शेयर कीं। बच्चों ने बस्तर में होने वाली मुर्गा लड़ाई, कई कई हफ्तों तक चलने वाले देव पर्व, दशहरा से लेकर चापड़ा चटनी, करील, बोड़ा, सल्फी, छिंदरस के बारे में भी बताया। डॉ कन्नौजे ने काफी रुचि लेकर बच्चों से बातें कीं। जशपुर के बच्चों ने बताया कि वहां खेती किसानी के मौसम में हाथी बहुत उत्पात मचाते हैं। हाथियों को भगाने के लिए पटाखों का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए वहां साल भर दिवाली होती है। कभी कभी लोग खेतों की सुरक्षा के लिए बाड़ में बिजली दौड़ा देते हैं जिससे कभी कभी हाथियों की मौत हो जाती है। जब तक हाथी का संस्कार नहीं कर दिया जाता तब तक शेष हाथी वहां बने रहते हैं।
अम्बिकापुर की फिलसिटा ने जहां मैनपाट के बारे में बताया वहीं अम्बागढ़ चौकी की ज्योति दुबे ने बताया कि आमागढ़ के नाम पर उस स्थान का नाम अम्बागढ़ पड़ा। आमागढ़ में एक गुफा है। बताते हैं कि उस गुफा से होकर एक सुरंग टीपागढ़ निकलती है। टीपागढ़ महाराष्ट्र में आता है।
भिलाई। छत्तीसगढ़ राज्य के स्थापना दिवस के अवसर पर एमजे कालेज में एक गोष्ठी का आयोजन किया गया। आईक्यूएसी द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने जशपुर के हाथियों से लेकर बस्तर की मुर्गा लड़ाई, आमागढ़ की सुरंग तक के विषय में बताया। मौसम, कृषि से लेकर तीज त्यौहार एवं पकवानों तक की भी चर्चा की गई। बच्चों ने दूसरों को काफी रुचि लेकर सुना और अपने जिले की बातें भी बढ़चढ़कर शेयर कीं।प्राचार्य डॉ चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ के स्थापना दिवस पर राज्य के बारे में इतने विस्तार से जानना एक अच्छा अनुभव था जिससे सभी बच्चों को भी लाभ मिला होगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ खेतों एवं खनिज पदार्थों से परिपूर्ण प्रदेश है। यहां की संस्कृति भी सबको आत्मसात करने की है। हमें इस परम्परा को निभाते हुए राज्य की शान में चार चांद लगाने हैं।

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