भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालयए हुडको भिलाई में राष्ट्रीय युवा दिवस स्वामी विवेकानंदजी की जयंती के अवसर पर शिक्षा विभाग द्वारा विवेकानंद का शिक्षा दर्शन पर परिचर्चा का आयोजन किया गया। परिचर्चा में शिक्षा विभाग के प्रतिभागियों ने भाग लिया। महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने अपने उद्बोधन में कहा व्यक्ति के जीवन के तीन रूप होते है बाल्यवस्था एयुवावस्था और वृध्दावस्था। बचपन – मस्त रहना, बेफ्रिक रहना, युवा जोश में रहना तथा वृद्धावस्था में जोश के साथ होश में रहना आवश्यक है। महाविद्यालय के सीओओ डा दीपक शर्मा ने कहा स्वामी श्री विवेकानंद समस्त विश्व के प्रेरणास्त्रोत है उनका जीवन दर्शन युवा वर्ग को सदा से मार्ग प्रशस्त करता रहा है। उनकी जयंती मनाना तभी सार्थक रहेगा जब हम उनके आदर्शो को अपने जीवन में अपनायें।
कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कार्यक्रम प्रभारी सप्रा उषा साहू ने कहा कि वर्तमान में युवाओं के लिए विवेकानंद के सिद्धांत, उनके दर्शन का महत्व बढ़ गया है। कार्यक्रम में मुख्य शिक्षा विभाग की सप्रा डॉ दुर्गावती मिश्रा ने कहा स्वामी श्री विवेकानंद के गुरु स्वामी रामकृष्ण परमहंस थे जिनके विचारों को दर्शन के रुप में विवेकानंद ने आगे बढ़ाया। आप सभी भी गुरु शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाये एवं राष्ट्र के निर्माण में मदद करें।
डॉ पूनम निकुंभ ने अपने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा स्वामी विवेकानंद ने हमेशा अपने उद्बोधन में युवाओं को प्रोत्साहित किया व कहा कि युवा अपने लक्ष्य से न भटके एवं तब तक चलते रहे जब तक उन्हें अपने लक्ष्य की प्राप्ति न हो जाए।
डॉ शैलजा पवार ने बताया कार्यक्रम में बीएड तृतीय सेमेस्टर के छात्र अंकज ने स्वामी विवेकानंद के जीवन परिचय पर प्रकाश डाला। दीपा रश्मि ने भी स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन शिक्षा के सिद्धांतए अनुशासनए पाठयक्रमए गुरुशिष्य संबंध पर अपने विचार व्यक्त किये व स्वामी विवेकानंद के जीवन से संबंधित छोटे.छोटे प्रकरण के बारे में बीएड की छात्रा आकांक्षा ने बताया। बीएड की छात्रा सीता सिन्हा ने स्वामी विवेकानंद के विचारों को युवा वर्ग को अपनाने कहा। अभिषेक ने भी स्वामी विवेकानंद के शिक्षा दर्शन पर अपने विचार व्यक्त किये। जानकी नायक ने स्वामी विवेकानंद के उस प्रकरण की चर्चा की जिसमें अमेरिका में उनके वेशभूषा की खिल्ली उड़ाई गई थी उन्होंने कहा था व्यक्तित्व का आधार वेशभूषा नहीं व्यक्ति का व्यवहार होता है।
डॉ पूनम शुक्ला ने स्वामी विवेकानंद के जीवन दर्शन के लिए अनुशासन एवं चरित्र निर्माण को युवा के लिए महत्वपूर्ण बताया।
डा शमा बेग विभागाध्यक्ष माईक्रोबायोलॉजी ने विवेकानंद को तूफानी साधु बताया। दर्शनशास्त्र के दो बेटे है धर्म एवं विज्ञान। उन्होंने धर्म को विज्ञान के नजरिये से देखते हुए भारत को विश्वगुरु बनाने की बात कही है। कार्यक्रम में डा दुर्गावती मिश्रा ने आभार प्रदर्शन किया।