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Child Sex Abuse : 48 फीसदी रेप पीड़ित बच्चों ने छोड़ा स्कूल, 42 फीसदी ने छोड़ी पढ़ाई

Jul 3, 2019

नई दिल्ली। दिल्ली के 48 प्रतिशत रेप पीड़ित बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। इनमें से 42 प्रतिशत बच्चों ने पढ़ाई ही छोड़ दी है। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि पीड़ितों में से 67 प्रतिशत लड़के और 51 प्रतिशत लड़कियां हैं। इन बच्चों ने बाहर अकेले आना जाना या खेलना छोड़ दिया है। ज्यादातर परिवारों के समाज के साथ रिश्ते सामान्य या सामान्य से नीचे हुए हैं।नई दिल्ली। दिल्ली के 48 प्रतिशत रेप पीड़ित बच्चों ने स्कूल जाना बंद कर दिया है। इनमें से 42 प्रतिशत बच्चों ने पढ़ाई ही छोड़ दी है। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने अपनी एक स्टडी में पाया है कि पीड़ितों में से 67 प्रतिशत लड़के और 51 प्रतिशत लड़कियां हैं। इन बच्चों ने बाहर अकेले आना जाना या खेलना छोड़ दिया है। ज्यादातर परिवारों के समाज के साथ रिश्ते सामान्य या सामान्य से नीचे हुए हैं। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मंगलवार को रिपोर्ट जारी की। आयोग ने एक ऐप ‘मेरी आवाज’ भी लॉन्च की, जिसके जरिए यौन शोषण के मामलों में रिपोर्ट जल्द से जल्द और आसानी से दायर हो सके। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने यह ऐप लॉन्च की, जो आयोग और ‘समाधान अभियान’ ने मिलकर तैयार की है।
आयोग की मेंबर ज्योति राठी ने बताया कि इस ऐप को ज्यादा से ज्यादा लोग इस्तेमाल करें, इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा। ना सिर्फ मामले की रिपोर्ट बल्कि इस ऐप की मदद से बच्चों के साथ यौन शोषण की समस्या को लेकर जागरूकता भी फैलेगी।
आयोग की टीम ने अपनी स्टडी में रेप पीड़ित 100 बच्चों से मुलाकात कर बातचीत की। इनमें 94 लड़कियां और 6 लड़के शामिल हैं। ज्यादातर मामले 2018 के हैं। नॉर्थ से 23, नॉर्थ से 27, नॉर्थ वेस्ट से 24, ईस्ट से 7, साउथ से 2, साउथ ईस्ट से 1, साउथ वेस्ट से 7, वेस्ट और सेंट्रल से 4-4 और नई दिल्ली का 1 मामला है।
आयोग ने 18 साल से छोटे बच्चों को अपनी स्टडी का हिस्सा बनाया है, कई बच्चे दो साल से भी छोटे हैं। ज्यादातर बच्चे 11 से 15 साल के बीच हैं। आयोग ने पाया कि लड़कों के मुकाबले लड़कियों में पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिस्आॅर्डर (सदमे) की शिकार ज्यादा हैं।
स्टडी में यह भी पाया कि 47 रेप पीड़ित बच्चे गरीब परिवारों से हैं, जिनके परिवार की आय 5001 से लेकर 10 हजार रुपये तक है। आयोग ने यह भी पाया कि एससी और ओबीसी कैटिगरी के मामले ज्यादा हैं। दो मामले 35001 से लेकर 50 हजार रुपये आय वाले परिवार से हैं। स्टडी में यह भी पता चला कि ज्यादातर मामले कम पढ़े लिखे परिवार के हैं।

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