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स्वरूपानन्द महाविद्यालय में मशरूम उत्पादन पर कार्यशाला का आयोजन

Oct 20, 2019

भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी एवं वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 21 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. एम.पी. ठाकुर डायरेक्टर एक्सटेंशन सर्विस आईजीकेवी, रायपुर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। विशेष अतिथि के रुप में दिनेश सिंह निदेशक जनसेवक समिति (समाज सेवा संस्थान) उपस्थित हुये। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने की।भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी एवं वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 21 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. एम.पी. ठाकुर डायरेक्टर एक्सटेंशन सर्विस आईजीकेवी, रायपुर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। विशेष अतिथि के रुप में दिनेश सिंह निदेशक जनसेवक समिति (समाज सेवा संस्थान) उपस्थित हुये। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने की।भिलाई। स्वामी श्री स्वरूपांनद सरस्वती महाविद्यालय में बायोटेक्नोलॉजी एवं वनस्पति शास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में 21 दिवसीय मशरूम प्रशिक्षण कार्यशाला का उद्घाटन डॉ. एम.पी. ठाकुर डायरेक्टर एक्सटेंशन सर्विस आईजीकेवी, रायपुर के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआ। विशेष अतिथि के रुप में दिनेश सिंह निदेशक जनसेवक समिति (समाज सेवा संस्थान) उपस्थित हुये। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. हंसा शुक्ला ने की।कार्यक्रम के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुये कार्यक्रम संयोजक डॉ. निहारिका देवांगन विभागाध्यक्ष वनस्पति शास्त्र ने कहा विद्यार्थियों को मशरुम के औषधि एवं पोष्टिकता से अवगत कराना तथा मशरूम के उत्पादन का प्रशिक्षण प्राप्त कर स्वरोजगार के रूप में अपनाने के लिए तैयार करना था।
डॉ. ठाकुर ने कहा कि मशरूम उत्पादन में चीन का प्रथम स्थान है। कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत चीन में होता है। चीन इसका केवल मात्र 5 प्रतिशत निर्यात करता है और शेष का स्वयं उपयोग कर लेता है। प्रति व्यक्ति वर्ष भर में लगभग 22 किलो उपयोग कर लेते हैं। भारत में इसका उत्पादन 1 प्रतिशत से भी कम है जिसका 70 प्रतिशत हिस्सा निर्यात कर देते हैं। भारत में प्रतिव्यक्ति प्रतिवर्ष मात्र 40 ग्राम का ही उपयोग हो पाता है। छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, ओडीशा, झारखण्ड, बिहार आदि प्रदेश सबसे कुपोषित हैं तथा छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्र में 70 प्रतिशत महिला रक्तालपता से ग्रसित है। मशरूम में आयरण, कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन एवं फूड फाइबर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध होता है। कई लोग मशरूम नहीं खा पाते वे पाउडर बना दूध रोटी में, बड़ी बिजौरी में डाल कर उपयोग कर सकते हैं। मशरूम में कोलस्ट्राल व स्टार्च नहीं होता है यह कम कैलोरी वाला फूड है अत: इसे शुगर के मरीज भी खा सकते है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में डॉ. हंसा शुक्ला ने कहा विद्यार्थी प्रशिक्षित हो इसे स्वरोजगार के रूप में अपना सकते है। छत्तीसगढ़ में धान की पैदावार अभिक होती है और उसके वेस्ट का उपयोग हम मशरूम उत्पादन में करते है। इसे कम लागत में उत्पादन शुरू किया जा सकता है तथा कचरे का प्रबंधन भी समुचित रुप से हो जाता है हम वेस्ट का उपयोग बेस्ट के रुप में कर सकते हैं।
मंच संचालन स.प्रा. शिरीन अनवर व धन्यवाद ज्ञापन विभागाध्यक्ष बॉटनी डॉ. निहारिका देवांगन ने दिया। कार्यक्रम को सफल बनाने में स.प्रा. श्वेता दवे, डॉ. चैताली मेथ्यू, भागवत देवांगन ने विशेष योगदान दिया। महाविद्यालय के प्राध्यापक/प्राध्यापिकायें व छात्र-छात्रायें उपस्थित हुये।

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