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सूर्य विहार में जन्माष्टमी : ‘जब श्रीकृष्ण जा बैठे फलवाली की गोद में’

Aug 27, 2019

भिलाई। सूर्य विहार रेसीडेन्स एसोसिएशन एवं ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की मनमोहक हृदयस्पर्शी झाँकी का आयोजन सूर्य विहार स्थित सेन्ट्रल पार्क में किया गया। जिसका उद्घाटन ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी, साधना सोनी, ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, ओमकार महाजन, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी एवं सूरी मैडम ने दीप प्रज्ज्वलन्न कर किया। इस अवसर पर तनावमुक्त जीवन के लिए प्रात: एवं संध्या समय पर 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है। झाँकी में नारद मुनि ने दर्शकों को श्रीकृष्ण के जन्म से उनकी बाल लीलाओं के प्रसंगों का वर्णन किया। भिलाई। सूर्य विहार रेसीडेन्स एसोसिएशन एवं ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की मनमोहक हृदयस्पर्शी झाँकी का आयोजन सूर्य विहार स्थित सेन्ट्रल पार्क में किया गया। जिसका उद्घाटन ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी, साधना सोनी, ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, ओमकार महाजन, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी एवं सूरी मैडम ने दीप प्रज्ज्वलन्न कर किया। इस अवसर पर तनावमुक्त जीवन के लिए प्रात: एवं संध्या समय पर 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है। झाँकी में नारद मुनि ने दर्शकों को श्रीकृष्ण के जन्म से उनकी बाल लीलाओं के प्रसंगों का वर्णन किया। भिलाई। सूर्य विहार रेसीडेन्स एसोसिएशन एवं ब्रह्माकुमारी संस्था द्वारा श्री कृष्ण की बाल लीलाओं की मनमोहक हृदयस्पर्शी झाँकी का आयोजन सूर्य विहार स्थित सेन्ट्रल पार्क में किया गया। जिसका उद्घाटन ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी, साधना सोनी, ब्रह्माकुमारी आशा दीदी, ओमकार महाजन, ब्रह्माकुमारी गीता दीदी एवं सूरी मैडम ने दीप प्रज्ज्वलन्न कर किया। इस अवसर पर तनावमुक्त जीवन के लिए प्रात: एवं संध्या समय पर 7 दिवसीय राजयोग शिविर का आयोजन किया गया है। झाँकी में नारद मुनि ने दर्शकों को श्रीकृष्ण के जन्म से उनकी बाल लीलाओं के प्रसंगों का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि एक बार एक बूढ़ी माता फल बेच रही थी। तभी श्रीकृष्ण वहां पहुंचे। जब बूढ़ी माँ ने फल का मोल-धन या धान से चुकाने की बात कही तो कान्हा ने कहा कि मेरी मैया तो मख्खन और अन्य चीजों का कोई मोल नहीं लेती है। पर ठीक है, यदि आप कहती है तो मैं घर से धान लेकर आता हूँ। इतना कहकर कान्हा धान लेकर आते हैं और बदले में मीठे फल ले लेते हैं। इसके बाद वे बूढ़ी माता की गोद में बैठ जाते हैं। उनके गोद में बैठते ही बूढ़ी माता को आपार प्रेम और आनन्द की अनुभूति होती है। कान्हा के जाने के बाद बूढ़ी माता फल की टोकरी देखती है तो उसमें हीरे जवाहरात एवं स्वर्ण आभूषण भरे होते है।
नारद मुनि श्रीकृष्ण की रास लीला का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए कहते है कि जीवन में हमें सर्व के साथ आनन्द और प्रेम शांति से कर्म व्यवहार में आना ही रास है। जिसे सुंदर नृत्य के माध्यम से दिखाया गया।

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